छत्तीसगढ़

Chhattisgarh


कृषि की लोकोक्तियाँ

१. तेरह कार्तिक

   तीन आषाड़

   जो चूका सो गया बाजार

   खेत को कार्तिक में और आषाढ़ में तीन बार जोतना सही है। नहीं तो बाजार में खरीदना पड़ता है।

 

२. धनी धनी जब सनई बोवै

   तब सुतरी की आशा होवे

   पहले सनई

   पीछे धान

   उसको कहिये

   चतुर किसान

 

३. ऊख गोड़िके

   तुरंत दबावै

   तो फिर ऊख

   बहुत सुख पावै

   इसका अर्थ है ईख (गन्ना) की गुड़ाई करके तुरंत ही मिट्टी चढ़ा देना चाहिये

 

४. कार्तिक बोवै

   अगहन भरै,

   तो को हाकिम

   फिर का करै।

   जो कार्तिक में रबी की फसल ठीक समय पर बोता है और अगहन में उसे पानी से भरता है, उसकी मालगुजारी नहीं रुक सकती।

 

५. गेहूँ बोवे चना दरावे

   धान गाहे, मक्का निरावे

   ऊख कसोये और पानी दिलाये

   गेहूँ के खेत बार बार जोतने से, चना को खोटने से, धान को बार बार पानी देने से मक्का को निराने से, ऊख बोनो व पानी दिलाने से लाभ

   होता है।

कृषि जलवायु क्षेत्र

छत्तीसगढ़ राज्य को तीन मुख्य कृषि जलवायु क्षेत्रों में विभाजित किया गया है -

१. छत्तीसगढ़ का मैदान

कुल 7.77 मिलियन हैक्टर 45 ऽ क्षेत्र में विस्तारित इस क्षेत्र के अन्तर्गत निम्नलिखित जिले आते हैं - रायपुर, धमतरी, महासमुन्द, दुर्ग, राजनांदगांव, कवर्धा, बिलासपुर, कोरबा, जांजगीर, रायगढ़, कांकेर।

२. बस्तर का पठार

कुल 3.91 मिलियन हैक्टर 22.67 ऽ क्षेत्र में फैले हुये पठार में फैले हुये पठार में जिले आते हैं - बस्तर, दन्तेवाड़ा।

३. उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र

लगभग 5.56 मिलियन हैक्टर 32.25 ऽ क्षेत्र में फैले इस क्षेत्र में निम्नलिखित जिले आते है - सरगुजा, कोरिया, जशपुर।

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Content Prepared by Ms. Indira Mukherjee 

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