छत्तीसगढ़

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करमा गीत

करमा गीत एंव करमा नृत्य मनोरंजन के गीत है नृत्य है। करमा गीत, अगर देखा जाये तो बारिश शुरु होने के साथ गाये जाने लगते है और फसल के कट जाने तक गाये जाते हैं।

इस गीत को करमा गीत क्यों कहा गया है, इस नृत्य को करमा नृत्य क्यों कहा गया है - इसके बारे में अनेक कहानियाँ प्रचलित है। इसके संदर्भ में करम देवता की बात कही जाती है कि करम अर्थात् कर्म देवता की पूजा के बाद गीत गाये जाते है और नृत्य किये जाते है। इसीलिए इसे करमा गीत नृत्य कहते है। कुछ लोगों का कहना है कि बहुत साल पहले एक राजा हुआ करता था जिनका नाम था करमसेन। राजा करमसेन के जिन्दगी में अचानक विपत्ति आ गई। राजा ने हिम्मत नहीं हारी। उसने भगवान से मन्नोति मानी और भगवान के सामने नृत्य किया गया, गीत गाया गया। धीरे धीरे उनकी सारी समस्यायें दूर हो गई। उसी समय से उस नृत्य और गीत को उसी राजा के नाम से जाना गया। प्रोफेसर अश्विनी केसरवानी करमा गीतों का संकलन " छत्तीसगढ़ी गीत" (सम्पादकः जमुना प्रसाद कसार) में बड़े सुन्दर तरीके से की है

करमा नृत्य उड़ीसा में तथा बिहार में भी प्रचलित है।

करमा गीत में बड़े सुन्दर संबोधन का इस्तमाल होता है। एक दूसरे का नाम नहीं लेकर बड़े प्यार से किसी और शब्दों से सम्बोधन करते है। जैसे प्यार भरा संबोधन है - " गोलेंदा जोड़ा इस गीत में इसका प्रयोग बड़े सुन्दर तरीके से किया गया है।

चलो नाचे जाबा रे गोलेंदा जोड़ा

करमा तिहार आये है, नाचे जाबो रे।

पहली मैं सुमिरौं सरस्वती माई रे

पाछू गौरी गणेश-रे गोलेंदा जोड़ा ...।।

गांव के देवी देवता के पइंया लगारे

गोड़ लागौ गूरुदेव के रे गोलेंदा जोड़ा ..।।

कही " गोलेंदा जोड़ा" से संबोधन करते है, तो कही " जवांरा" या " भोजली" से संबोधन करते है। कही कही कहते है " गोदांफूल"

करमा गीत गाते वक्त मादंर बजाया जाता है। मादंर सुनकर गाँव के सभी लोग दौड़कर चले आते है और नाचने लगते है।

करमा गीत और नृत्य जिस जगह पर होती है उसे " अंखरा" कहते है।

एक बहुत सुन्दर करमा गीत है जिसमें कहा गया है कि युवतियां श्रंगार कर रही है अंखरा में जाने के लिए पर मांदर का आवाज़ सुनकर अपने आप को नाचने से रोक नहीं पा रही है-

हौरे हौरे। धीच वेनी भुजा डारे

मांग में तो सेंदूरा बिराजे

धीच वेनी भुजा डारे

हाजी पैर के पयरी ललकारे - धीच - - - -

पिंडरी चुरुवा ललकारे - धीच - - - -

जांध के जंधिया ललकारे - धीच - - - -

कनिहा लहंगा ललकारे - धीच - - - -

छाती के चालिया ललका - धीच - - - -

गला सुतली ललकारे - धीच - - - -

नाक नथुली ललकारे - धीच - - - -

माध के मधोचा ललकारे - धीच - - - -

 

ज़ाफरजी के कण्ठ स्वर में करमा गीत

करमा गीत के भाव बड़े सुन्दर होते है। एक गीत में रतन कुमारी नाम की लड़की के पैर में कांटा गड़ गया है। वह उसे निकाल नही पा रही है। उसी वक्त वहां से उसका प्रिय जा रहा होता। रतन कुमारी उससे कहती है कांटा निकालने के लिए, पर उसका प्रिय उस वक्त कांटा निकालता है जब वह अपनी प्यार देने की बात कहती है।

हां हां रे रतन बोइर तरी रे

गड़े है मैनहरी कांटा

रतन बोइंर तरी रे।

ओही मा ले नहकयं डिंडवारे, छैलवा

हेर देबे मैनहरी कांटा

रतन बोइर तरी रे।

कांटा हेरवनी का भूर्ती देबे,

हेर दहे मैनहरी कांटा

रतन बोइर तरी रे।

ले लेबे भइया थारी भर रुपइया,

हेर देबे मैनहरी कांटा

रतन बोइर तरी रे।

थारी भर रुपइया तोरे धर भावय

नइ हेंरव मैनहरी कांटा

रतन बोइर तरी रे।

ले लेबे भइया लहुरि ननदिया।

हेर देबे मैनहरी कांटा

रतन बोइर तरी रे।

लहुरि ननदिया तोरे धर भावय

नइ हेंरव मैनहरी कांटा

रतन बोइर तरी रे।

ले लेबे, छैलवा मोरे रस बुंदिया

हेर देहंव मैनहरी कांटा

रतन बोइर तरी रे।

हर स्थिति पर करमा गीत रची जाती हऐ। जैसे एक गीत में दीखाया गया है कि दुल्हन बहुत ही परेशान है? किस बात पर परेशानी है उसकी सास उसे जाम झरिसा नदी से पानी जो लाने को कहती है। नई दुल्हन को पता नहीं है कि ये जाम झरिया नदी है कहा। उसके बाद ये भी सोचती है कि वहाँ कैसे पहुँचेगी वह तब गांव की महिलायें उसकी मदद करती है। वे उसे बताती है जाम झरिया है कहा। वे कहती है कि सामने जो पहाड़ है, उसे पार करने के बाद जाम झरिया नदी दिख जायेगी।

हाय रे हाय

मैं तो नहिं जानों जी

कहां बोहावे जाम झरिया

धर से निकरे फरिका मेर ढाढ़े

कहां बोहावे जाम झरिया।

डोंगरी च डोंगरी तै चड़ि जाबे।

नीचे बोहावे जाम झरिया

एक कोस रेंगे।

दुसर कोस रेंगे

तीसरे मा पहुँचे

जाम झरिया

हाथे मा गगरी

मूढ़े मा गुढ़री

खड़े देखय

जाम झरिया।

माँ की ममता के बारे में कई गीत है जैसे एक गीत में एक माँ बहुत ही व्याकुल है कि उसे धर पहुँचना है। धर मे उसके बच्चे वह छोड़ आई है। अब वह नदी पार करना चाहती है पर नदी में तो भंवरे बन रहे है। वहाँ के नाविक उस माँ से कहता है कि अब वह नदी नहीं पार कर सकती। इसीलिये उसके धर में सादर आहवान करता है। पर माँ व्याकुल होकर उसे बार-बार कहती कि किसी भी तरह, उसे नदी पार करा दे।

नदिया भौना मारे

कइसे नका बे नदी पार रे।

नदिया - - - - -

आजके रतिया रहि बसि लेबे

कालि नकाबो पार रे

नदिया - - - - -

दिने खवाहूं खाड़ा मछरिया

राते ओढ़ा हूँ भंवर जाल रे।

नदिया - - - - -

रहेला रवितंव राती तोरे टेपरिया

कोरा के बालअवा के खियाल रे।

नदिया - - - - -

राकेश तिवारी के कण्ठ स्वर में करमा गीत

कुछ करमा गीत ऐसे है जिसमें हास्यरस है। अलग-अलग रिश्तों में जो मजाकवाली बात है वह झलकती है। जैसे भाभी-देवर के बीच जो रिश्ता है, उसके बारे में बहुत प्यारे -प्यारे गीत है।

ओ हो रे हाय रात झिम झिम करे

उठ देवता कंदरा बजावो हो।

रात झिम झिम करे।

कय दो मोहर कर केंदरा रे केन्दरा

कय दो मोहर ओकर तार हो।

रात झिम झिम करे - - -

दसे मोहर कर केन्दरा रे केन्दरा

बीस मोहर ओकर तार हो।

रात झिम झिम करे - - -

हल जोती आवे कुक्षारी भाजे आवे,

लगे देवरा केन्दरी बजावा हो।

रात झिम झिम करे - - -

फूट गये केन्दरा

टूट गये तार हो,

कइसे बजावौ गाई केन्दरा हो।

रात झिम झिम करे - - -

तुंहर बने केन्दरा

तुंहर बने तार हो

कइसे पतियांवन तुंहर बात हो

रात झिम झिम करे - - -

पति-पत्नी के बीच जो हास्य रस का सम्बन्ध है, जो प्यार का और मान-अभिमान का सम्बन्ध है, उसके बारे में कई करमा गीत है -

रांधत देखेंव मोगरी मछरी

परसत देखेंव भोंगा सागे।

अइसन सुआरी बर

बड़ गुस्सा लागे।

भारतें तुतारी दुई चारें।

माहिरा तुतारी दुई चारें।

चलि देबों मइके हमारे।

मसके देइ मइके तुम्हारे।

कर लेब दूसर बिहांव।

कर लेइहा दूसर बिहाव

हमर सूरत कहां पइहा।

अइसन सुधरई का करबो।

चिटको तो चाल कहर नइहे।

पति कह रहा है अपनी पत्नी से कि उसने तो उसे मछली पकाते देखा था पर अब जब वह खाने के लिये बैठा है तो उसे सूखा साग परोसा जा रहा है। फिर कहता है पति कि उसका मन कर रहा है कि दो चार थप्पर उसे मारे। पत्नी जवाब देती है कि अगर वह थप्पर मारेगा, तो वह मईके चली जायेगी। पति कहता है कि तब वह दूबारा शादी कर लेगा। पत्नी कहती है कि वह जितनी है, उतनी सुन्दर लड़की उसे कहाँ मिलेगी ? पति कहता है कि सुन्दरता को लेकर वह क्या करेगा ? - -

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Content Prepared by Ms. Indira Mukherjee 

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