देवनारायण फड़ परम्परा  Devnarayan Phad Tradition

महेन्दू जी एवं भूणाजी का मिलाप

बजौरी कांजरी और ढाई करोड़ का ज़ेवर 


उधर बिजौरी कांजरी सारे संसार में घूमते-फिरते खेल दिखाते हुए बगड़ावतों से बड़ा दानवीर ढूंढती रहती हैं। जब कागरु देश में वह अपना करतब दिखा रही होती है तो उड़ती हुई पंखणियों से बात करती है।

बिजौरी गिरजणियों से पूछती है, ए गिरजणियां कहां जा रही हो, मुझे बगड़ावतों के हाल बताती जाओ?

गिरजणियां कहती है नियाजी ने बहुत जोर का भारत करयो है, हमको उसी ने धपाया है (पेट भर दिया है)।

बिजौरी को विश्वास नहीं होता है और गिरजणियों से कहती है कि तुम झूंठ बोलती है। ्

फिर बिजौरी अपने साथियों से कहती है अब बांस उखाड़ो, सभी सामान इकट्ठा करो और बाबा रुपनाथ के पास चलो। हम जिनके गुणगान कर रहे हैं वो बगड़ावत अब नहीं रहे।

बिजौरी कांजरी बाबा रुपनाथ के पास रुपाहेली जाकर बगड़ावतों के बारे में उनसे पूछती है।

बाबाजी बताते है कि २३ बगड़ावत भाई रावजी के साथ युद्ध में काम आ गये हैं. २४वां तेजाजी पाटन में है, तू उसके पास चली जा।

बाबा रुपनाथ की बात सुनकर बिजौरी अपने डेरे लादकर आगे बढ़ जाती है और पाटन आकर डेरा डाल देती है। वहां तेजाजी से मिलकर बाकी बगड़ावतों और अपने आधे जेवर के बारे में पूछती हैं।

तेजाजी बिजौरी को बताते है कि तू अजमेर चली जा वहां पर सवाई भोज का लड़का मेहन्दूजी है जो तुमको तुम्हारा आधा गहणा दे देगा। अजमेर राजा बिसलदेव का राज्य होता है।

उधर मेहन्दूजी अजमेर में बड़े हो जाते है। वहां राजा बिसलदेव के दरबार में बैठते है। मेहन्दूजी बटूर के थानेदार होते हैं जो कि राजा बिसलदेव के राज्य में होता हैं इसलिए व उनकी कचहरी में बैठते थे।

जब बिजौरी कांजरी को विश्वास होता है की बगड़ावत भाई तो सभी रण में मारे गये। और सवाई भोज के बड़े बेटे मेहन्दू जी के पास सवाई भोज ने उसका आधा जेवर छोड़कर रखा है और वो अजमेर में है तो वह   अपना सामान लादकर अजमेर आती है, वहीं अपना करतब दिखाना शुरु करती है। बहुत ऊंची आसमान में रस्सी बांध कर उस पर चढ़ कर एक बांस हाथ मे लेकर अपने करतब दिखाती है। तमाशा दिखाते हुए वो सवाई भोज के गीत गाती है।

बिसलदेव जी अपने छोटे बड़े सभी राजाओं को लेकर आते हैं और बिजौरी से कहते हैं कि बिजौरी मैं तुझे हाथियों का जोड़ा देता हूं, दस गांव का पट्टा लिख देता हूं। तू आज से सवाई भोज का नाम लेना छोड़ दे, और मेरा नाम लेने लगजा।

बिजौरी कहती है कि आप अपने गांव किसी चारण भाटों को दे दो। मैं तो सवाई भोज का नाम नहीं छोड़ सकती हूं।

मैं सारी पृथ्वी की परिक्रमा करके आई हूं लेकिन सवाई भोज जैसा दाता मुझे आजतक नहीं मिला।

राजा बिसलदःेव जी फिर कहते हैं कि ए बिजौरी तू क्यों मरे हुए के गीत गा रही है, तुझे उससे क्या मिलेगा?ंM* तू मेरे गीत गा, मैं तेरे को सोने की मोहरे दूंगा। बिजौरी वापस जवाब देती है कि सवा करोड़ के जेवर मैंने धारण कर रखे हैं। अगर तुम सवा करोड़ के जेवर देकर ढाई करोड़ पूरा कर दःो तो मैं तुम्हारे गीत गाने लग जा जब तक मैं सांस ले रही हूं तब तक तो मैं सवाई भोज को नहीं भूल सकती। ये बात भैरुन्दा का ठाकुर सुन लेता हैं और मेहन्दू जी को बताता है। मेहन् जी को याद आता है कि मेरे पिताजी ने मुझे कुछ धन-जेवर दिया था, वो पोटली इसी बिजौरी की अमानत है।

मेहन्दू जी तिजोरी खोलकर तलाश करते हैं वहां एक ढाल के नीचे रुमाल मे बंधी पोटली मिल जाती है। ढाल पर लिखा होता है बिजौरी कांजरी का शरीर का आधा जेवर जो उसे दे देवें।

मेहन्दू जी पोटली लेकर वहां आते हैं जहां बिजौरी अपना करतब दिखा रही है। मेहन्दू जी नीचे से बिजौरी को आवाज लगाते हैं कि में सवाई भोज का लड़का मेहन्दू तेरे शरीर का आधा जेवर तुझे देने आया हूं।

मेहन्दू जी को आता देखकर बिजौरी उतावली हो जाती है। मेहन्दू जी आकर बिजौरी को सारा गहणा देते हैे और कहते है कि यह आपकी अमानत है। बिजौरी मेहन्दू जी से सारा श्रृंगार लेकर पहन लेती है।

मेहन्दू बिजौरी को कहते है कि तेरे पीछ्े मैने बहुत गोते खाये, तुझे बहुत ढूंढा। पिताजी कह गये थे कि दिया हुआ दान घर में नही रखना। इसलिये हमने आपको अब यह अमानत दे दी।

बिजौरी मेहन्दू जी को आशीष देती है और कहती है कि अपने बाप का बैर जरुर निकालना।

बिजौरी कांजरी का जेवर देकर मेहन्दू जी अजमेर से अपने थाने बटूर में वापस आ जाते हैं।

 

 
 

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