हजारीप्रसाद द्विवेदी के पत्र

प्रथम खंड

संख्या - 26


IV/ A-2026

शान्तिनिकेतन

8.12.38

पूज्य पंडित जी,

  प्रणाम!

  कृपा-पत्र मिला। बबुआ की माँ कई दिनों से बहुत सख्त बीमार थी। अब अच्छी हो रही है। इसी झंझट में रहा। आपके पत्र का विस्तृत उत्तर दो-चार दिन बाद दूँगा। गुरुदेव के दस्तखत कराके कविता भेजूँगा। क्षिति बाबू आने को तैयार हैं। आप जेनेरल सेक्रेटरी (रथी बाबू) को एक अलग पत्र लिखें तो उनको सुविधा होगी। आप क्षिति बाबू को भी पत्र लिख सकते हैं। अगर वे गये तो मैं भी साथ हो लूँगा। हिन्दी भवन अभी कुछ बाकी है। इस महीने शायद उसका द्वारोद्घाटन नहीं हो सकेगा।

  वेत्रवती के संबंध में कुछ reference बाद में (दो-चार दिन बाद) भेजूँगा। चायवाली कविता लिख रखी है, पर अनुवाद करना बाकी है। उसे यथासमय भेज दूँगा।

  शेष कुशल है। आशा है आप स्वस्थ और प्रसन्न हैं। जल्दी में लिख रहा हूँ। सब मित्रों को प्रणाम कहिये।

आपका

हजारी प्रसाद द्विवेदी

चन्दोला जी, साहानी जी और मलिक जी आपको प्रणाम कहते हैं।

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© इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र १९९३, पहला संस्करण: १९९४

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प्रकाशक : इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली एव राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली