हजारीप्रसाद द्विवेदी के पत्र

प्रथम खंड

संख्या - 39


IV/ A-2038

अभिनव भारती ग्रन्थमाला

संपादक

हजारी प्रसाद द्विवेदी

शान्तिनिकेतन

बोलपुर क.क्ष्.ङ्न्र.

7.9.1940

श्रध्देय पंडित जी,

              प्रणाम!

       कृपा-पत्र मिला। मेरे पत्र का टाइप किया हुआ कागज़ भी मिल गया। आज ही उसे कलकत्ते भेज रहा हूँ।

       मैं और क्षिति बाबू १० अक्तूबर के आस-पास टीकमगढ़ आना चाहते हैं। बंबई विद्यापीठ वालों के पास पैसे की कमी है। उन्होंने लिखा था कि वे थर्डक्लास का किराया दे सकते हैं। क्षिति बाबू को थर्डक्लास का किराया देने का प्रस्ताव करना मेरे लिये कठिन पड़ा। अगर आप टीकमगढ़ की यात्रा के प्रसंग में इन्टर क्लास के किराये से कुछ अधिक भिजवा दें तो बंबई तक हम इंटर क्लास का इंतजाम कर लेंगे। पर आप ऐसा तभी करें यदि यह आसानी से हो सकता हो। श्री भानु कुमार जी के पत्र से जान पड़ता है उनसे ज्यादा की माँग पेश करने से सारा भार उनके ही ऊपर पड़ेगा । कृपया शीघ्र लिखें।

       और सब कुशल है।

       हाँ, पंडित दुर्गा प्रसाद जी तीन वर्ष युरोप रह कर इसी महीने सकुशल लौट आये हैं। आपको बार-बार प्रणाम कह गये हैं।

       वे आरक्योलाजी में डाक्टर होकर आये हैं। अगर टीकमगढ़ की मूर्तियों का कैटलॉग बनाना चाहते हों तो वे बड़ी खुशी से करेंगे। उन्हें कुछ मेहनताना नहीं देना पड़ेगा। केवल यातायात और रहने आदि का खर्च ही पर्याप्त होगा। अगर आप लिखें तो मैं उनसे वहाँ जाने के विषय में बात कर्रूँ।

       और सब कुशल है।

आपका

हजारी प्रसाद द्विवेदी

पिछला पत्र   ::  अनुक्रम   ::  अगला पत्र


© इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र १९९३, पहला संस्करण: १९९४

सभी स्वत्व सुरक्षित । इस प्रकाशन का कोई भी अंश प्रकाशक की लिखित अनुमति के बिना पुनर्मुद्रित करना वर्जनीय है ।

प्रकाशक : इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली एव राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली