हजारीप्रसाद द्विवेदी के पत्र

प्रथम खंड

संख्या - 65


IV/ A-2065

हिन्दी भवन

  शान्तिनिकेतन, बंगाल

24.4.44

श्रध्देय पंडित जी,

              सादर प्रणाम!

       कृपा-पत्र मिला। अर्द्धकथनाक की रिव्यू निकाल रहा हूँ। क्षितिमोहन बाबू से अनुरोध किया है। वे लिख सके तो अच्छा ही है, नहीं तो स्वयं लिखूँगा। आपका स्वास्थ्य ठीक न होने से चिन्ता हुई है। कुछ दिन हवा-पानी बदलने क्या ठीक नहीं रहेगा यहाँ आकर एकाध महीने रहें तो कैसा रहे? मैं समझता हूँ इससे आपका स्वास्थ्य कुछ अच्छा ही रहेगा और लगे हाथों हिन्दी भवन का स्वास्थ्य भी कुछ ठीक हो जायेगा। इस प्रस्ताव पर आप अवश्य विचार करें।

       हां, फाउन्टेन पेन मुझे ज़रुर चाहिए। २५ फाउन्टेन पेन के लिये कम-से-कम ७५ वर्ष और आपको जीवित रहना पड़ेगा। क्योंकि एक पेन को मैं तीन वर्ष से कम नहीं चलाऊँगाइ इसलिए ज्योतिषी की भविष्यवाणी का अर्थ हुआ ७५ वर्ष और।

       आशा करता हूँ कि यह पत्र जब आपको मिलेगा, उस समय आप स्वस्थ और प्रसन्न हो गए रहेंगे। एक बार इधर आइए ज़रुर।

       बच्चे सानंद हैं। हम सब लोगों का प्रणाम स्वीकार करें।

आपका

हजारी प्रसाद

श्री भाई यशपाल जी को सादर नमस्कार।

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© इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र १९९३, पहला संस्करण: १९९४

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प्रकाशक : इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली एव राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली