हजारीप्रसाद द्विवेदी के पत्र

प्रथम खंड

संख्या - 74


IV/ A-2076

शान्तिनिकेतन

दिनांक : 22.3.47

श्रध्देय पंडित जी,

              सादर प्रणाम!

       बहुत दिनों से आपका कोई समाचार नहीं मिला। मधुकर का अंतिम अंक मिला था। अब क्या कुछ नया कार्य आरंभ करने का विचार है कृपया लिखें कि आजकल कहाँ हैं और आगे का क्या कार्यक्रम है।

       आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि हिंदी भवन में एक और ब्लाक बढ़ाने के लिये हलवासिया ट्रस्ट ने रुपया दिया है। लाईब्रेरी को समृद्ध करने के लिये भी ४ हजार रुपये दिए हैं और चालू खर्च भी एक वर्ष के लिये और देने का निश्चय किया है। सब मिलाकर (२३५००) मिले हैं जिसमें ८ १/२ हजार चालू खर्च के लिये हैं। यह सब श्री कानोडिया जी के उद्योग से हुआ है। आप कभी पत्र लिखें तो उन्हें इस बात के लिये बधाई दें और हिंदी भवन की ओर से कृतज्ञता प्रकट करें।

       यहाँ और सब कुशल है। आशा है, आप सानंद हैं।

आपका

हजारी प्रसाद  

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© इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र १९९३, पहला संस्करण: १९९४

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प्रकाशक : इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली एव राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली