हजारीप्रसाद द्विवेदी के पत्र

प्रथम खंड

संख्या - 78


IV/ A-2080

विश्वभारती पत्रिका

हिन्दी भवन

  शान्तिनिकेतन,बंगाल

 16.12.47

  श्रध्देय पंडित जी,

              सादर प्रणाम!

       बहुत दिनों से कोई समाचार नहीं मिला। कल ग्वालियर से निकलने वाले एक समाचार पत्र में यह पढ़कर बड़ी चिन्ता हुई कि आप देर से अस्वस्थ रह रहे हैं। कृपया तुरंत समाचार दें कैसे हैं। क्या शिकायत है

       हम लोग यहाँ सकुशल हैं। सुना है, इस वर्ष का मंगलाप्रसाद पारितोषिक मुझे मिल रहा है। कबीर नाम की एक पुस्तक मैंने लिखी है, उसी पुस्तक पर यह पारितोषिक मिला है। कबीर साहित्य के अध्ययन की प्रेरणा तो मुझे स्व. गुरुदेव और आचार्य क्षिति मोहन सेन से मिली थी पर यदि आपके संदर्भ में न आया होता तो मुझे शायद लिखने ही नहीं आता और लिखने आता भी तो गलत रास्ते जा सकता था। इस अवसर पर मैं कृतज्ञतापूर्वक आपको अपना विनम्र प्रणाम निवेदन करता हूँ।

       स्वास्थ्य का समाचार शीध्र दें।

आपका

हजारी प्रसाद दिवेदी  

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© इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र १९९३, पहला संस्करण: १९९४

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प्रकाशक : इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली एव राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली