हजारीप्रसाद द्विवेदी के पत्र

प्रथम खंड

संख्या - 97


IV/ A-2093

काशी हिंदू विश्वविद्यालय

  7.2.51

श्रध्देय पंडित जी,

              सादर प्रणाम!

       आपका कृपापत्र मिल गया था। यह जानकर कि अब आप रोग मुक्त हो गए हैं, प्रसन्नता हुई। यहाँ भोजपुरी विद्यार्थियों की एक सभा है। उसका वे लोग 17, 18 फरवरी को कुछ उत्सव करना चाहते हैं मुझसे कह रहे हैं कि आपको उसके उद्घाटन के लिये निमंत्रित कर्रूँ। आपने जनपद आंदोलन का शंख फूँक कर उन बोलियों के प्रेमियों के हृदय में नई आशा जगाई है। इस नाते आपका नेतृत्व इन्हें मिलना चाहिए। इसमें काशी विश्वनाथ का दर्शन "अधिकन्तु" है। आप अवश्य पधारें। मैं विश्वविद्यालय में ही रहता हूँ। आपकी सूचना मिलने से स्टेशन पर आ जाऊँगा। मार्ग व्यय आपकी अनुमति मिलने से भिजवा दूँगा। इसे ग्रहण करने में आप कोई संकोच न करें।

       आशा करता हूँ आपको को सुविधा नहीं होगी। आप चाहें तो तिथि बदल भी दी जा सकती है। मेरा छोटा भाई रमानाथ जिसने बाल्यकाल में "विशाल भारत" के कवर पर ग्राहक संख्या कई लाख लिख कर एक बार आपको चौंका दिया था अब यहाँ के अस्पताल में चिकित्सक है और आयुर्वैदिक कालेज में प्रोफेसर है। सो दवादारु की भी व्यवस्था होगी। अवश्य आइए।

       आशा है, सानंद हैं।

आपका

हजारी प्रसाद द्विवेदी

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© इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र १९९३, पहला संस्करण: १९९४

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प्रकाशक : इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली एव राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली