हजारीप्रसाद द्विवेदी के पत्र

प्रथम खंड

संख्या - 117


IV/ A-2113

बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी
बनारस-५

4.5.55

आदरणीय पंडित जी,
प्रणाम!

श्री शांतिप्रिय जी के संबंध में हम लोग एक पत्र मौलाना साहब को कृपलानी जी के जरिये लिखने वाले थे। उसमें देर हो गई। मैंने एक पत्र टाइप कराके आपके हस्ताक्षर के लिए स्थान छोड़ कर अपना हस्ताक्षर कर दिया है। इस पर हस्ताक्षर कराके श्री कृष्ण कृपलानी जी को भेज दें। वे मौलाना साहब को दे देंगे। श्री शांतिप्रिय जी को कुछ सहायता मिल जानी चाहिए।

एक खतरा भी है, नोट कर लीजिए अवसर आने पर आपके प्रतिद्वेंद्वी भी होंगे और निश्चित रुप से सत्रह वर्ष की उमर का इंतजार नहीं करेंगे।
शेष कुशल है नागरी प्रचारिणी की पुस्तकें भिजवाने की व्यवस्था करा दी है। आपके नये मकान का पता ९९ नोट कर लिया है। यह अच्छा हुआ कि आप निन्यानवे के फेर में पड़ गए। देर आये दुरुस्त आये।

आशा है प्रसन्न हैं।

आपका
हजारी प्रसाद द्विवेदी

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© इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र १९९३, पहला संस्करण: १९९४

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प्रकाशक : इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली एव राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली