हजारीप्रसाद द्विवेदी के पत्र

प्रथम खंड

संख्या - 125


IV/ A-2122

चण्डीगढ़
18.5.61

आदरणीय पंडित जी,
प्रणाम!

८.५.६१का कृपापत्र मिला। मैं ८ मई को आपके निवास स्थान पर गया था। आप नहीं थे, सो लौट आया। गाडगिल साहब से आपकी बातचीत हुई सो ठीक ही है। स्थानीय लोगों से बातचीत करके इस नतीजे पर पहुँचा कि हर आदमी की अपनी संस्था है और हर आदमी उसी की फिकर में है। पर फिर भी कुछ लोग जरुर रुचि लेंगे। एक बार कभी आप इधर आ जाते तो अधिक काम हो सकता। मैं इधर जल्दी ही दिल्ली आ रहा हूँ। मिलकर बात कर्रूँगा।

आशा है, सानंद हैं।

आपका
हजारी प्रसाद

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© इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र १९९३, पहला संस्करण: १९९४

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प्रकाशक : इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली एव राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली