The Illustrated Jataka : Other Stories of the Buddha by C.B. Varma
088 -  Sujata / सुजाता   

सम्बोधि-प्राप्ति के पूर्व बुद्धों का किसी न किसी महिला के हाथों खीर का ग्रहण करना कोई अनहोनी घटना नहीं रही हैं। उदाहरणार्थ, विपस्सी बुद्ध ने सुदस्सन-सेट्ठी पुत्री से, सिखी बुद्ध ने पियदस्सी-सेट्ठी-पुत्री से, वेस्सयू बुद्ध ने सिखिद्धना से, ककुसंघ बुद्ध ने वजिरिन्धा से, कोमागमन बुद्ध ने अग्गिसोमा से, कस्सप बुद्ध अपनी पटनी सुनन्दा से तथा गौतम बुद्ध ने सुजाता से खीर ग्रहण किया था।

पाँच तपस्वी साथियों के साथ वर्षों कठिन तपस्या करने के बाद गौतम ने चरम तप का मार्ग निर्वाण प्राप्ति के लिए अनिवार्य नहीं माना। तत: उन तपस्वियों से अलग हो वे जब अजपाल निग्रोध वृक्ष के नीचे बैठे तो उनमें मानवी संवेदनाओं के अनुरुप मानवीय आहार ग्रहण करने की इच्छा उत्पन्न हुई जिसे सुजाता नाम की महिला ने खीर अपंण कर पूरा किया।

उस वृक्ष के नीचे एक बार उसवेला के निकटवर्ती सेनानी नाम के गाँव के एक गृहस्थ की पुत्री सुजाता ने प्रतिज्ञा की थी के पुत्र-रत्न प्रप्ति के बाद वह उस वृक्ष के देव को खीर-अपंण करेगी। जब पुत्र-प्राप्ति की उसकी अभिलाषा पूर्ण हुई, तब उसने अपनी दासी पुनाना के उस वृक्ष के पास की जगह साफ करने को भेजा जहाँ उसे खीरापंण करना था। जगह साफ करते समय पुनाना ने जब गौतम को उस पेड़ के नीचे बैठे देखा तो उन्हें ही उस पेड़ का देव समझ भागती हुई अपनी स्वामिनी को बुलाने गयी। देव की उपस्थिति के समाचार से प्रसन्न सुजाता भी तत्काल वहाँ पहुँची और सोने की कटोरी में बुद्ध को खीर अपंण किया।

बुद्ध ने उस कटोरी को ग्रहण कर पहले सुप्पतित्थ नदी में स्नान किया। तत्पश्चात् उन्होंने उस खीर का सेवन कर अपने उनचास दिनों का उपवास तोड़ा। 

P ali tradition believes that every Buddha was offered milk-rice from some maiden just before his Enlightenment. For example, Vipassi Buddha accepted the milk-rice from Daughter-of-Sudassana-Setthi; Sikhi Buddha accepted it from Daughter-of-Piyadassi-Setthi; Vessabhu Buddha accepted the milk-rice from Sirivaddhana; Kakusandha Buddha accepted the milk-rice from a brahmin girl Vajirindha of the village Suchirindha; Konagamana from a Brahmin woman Aggisoma; and Kassapa Buddha from his wife Sunanda. Last in the list is Gotama Buddha, who accepted the milk-rice from Sujata.  

Sujata offering milk-rice to the Buddha and the slave girl Punna is watching

Separating from the five monks with whom Gotama had undertaken several ascetic penances in Uruvela for the Enlightenment after having left his two gurus , namely, Alara Kalama and Uddaka Ramaputta, he sat under a banyan tree called the Ajapala Nigrodha. As he felt that the extreme austerities for the spiritual achievement was not a necessary condition to realise the spiritual goal, the natural human drive for the normal human food once again became operative in him. His desire was, however, fulfilled by a woman named Sujata, who offered him the milk-rice.

Sujata, a daughter of the landowner of the village Senani near Uruvela had once pledged that she would offer the milk-rice to the spirit of the tree if she gave birth to a son. As her wish was fulfilled she asked her maid Punna to visit the tree and prepare the place for offering. When Punna visited the place she saw Gotama sitting under the tree. She then mistook him to be the tree-deva and reported the matter to Sujata, who in a great joy reached the spot and offered him the milk-rice in a golden bowl.

Gotama accepted the bowl; walked to the river-bank; bathed in the Suppatthita; and then ate the food. This was his only meal after the gap of forty-nine days.

See Digha Nikaya ii.135; Sutta Nipata Commentary 1.154; Dhammapada Atthakatha 1.71.

 


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