छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के बीच सामान्य जन का मसीहा "कबीर'

लघु भारत : छत्तीसगढ़


छत्तीसगढ़ - भौगोलिक परिदृश्य

लाली मेरी लाल की, जित देखूं तित लाल।
लाली देखन में गई, मैं भी हो गई लाल।।

- कबीर

छत्तीसगढ़ - मूलभूत तथ्य

भूमिका

भौगोलिक पृष्ठ भूमि

स्थिति

सीमा

जलवायु

मिट्टियां

भू-शैल उच्चावच

नदी

कृषि

खनिज सम्पदा

वन -

अ) वनसम्पदा
ब) वन जीव

राष्ट्रीय उद्यान एवं अभ्यारण्य

छत्तीसगढ़ - मूलभूत तथ्य ...

१.

स्थापना

-

१ नवंबर २०००

२.

राजधानी

-

रायपुर

३.

उच्च न्यायालय

-

बिलासपुर

४.

१. राजकीय पशु

-

वन भैंसा

२. राजकीय पक्षी

-

पहाड़ी मैना

५.

क्षेत्रफल

-

१,३५,१९१ वर्ग किलोमीटर

६.

जनसंख्या

-

१,७६,१५,००० (१९९१)

अनुसूचित जनजाति

-

५७,१७,०००

अनुसूचित जाति

-

२१,४९,०००

७.

ग्रामीण जनसंख्या

-

१,६६,२०,६२७

शहरी जनसंख्या

-

४१,७५,३२९

८.

साक्षरता :

परुष

-

७७.८६%

महिला

-

५२.४०%

कुल साक्षरता

-

६५.१८%

९.

संभाग

-

बिलासपुर, रायपुर, बस्तर

१०.

जिले

-

१६

११.

तहसील

-

९७

१२.

विकासखंड

-

१४६

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भूमिका

मानव प्रकृति का अनन्य अंग है। भौगोलिक परिवेश उसकी समस्त बातों को प्रभावित करताहै। जीवन, संस्कृति, सभ्यता, भाषा, यहां तक की जातीय रुप, धर्म और आध्यात्म भी इसी भौगोलिक परिवेश द्वारा संचालित होता है। अत: छत्तीसगढ़ का जो कुछ भी रुप हमारे सामने है वह इसी भौगोलिक परिवेश से अनुप्रेरित है। यहां प्रकृति वरदायिनी मां के रुप में अपनी संतानों को पालती, पोषती और पुष्ट करती रही है। प्राकृतिक-सौन्दर्य, वन-सम्पदा, खनिज-पदार्थ, जलवायु, ॠतुओं का आगमन और प्रत्यागमन तथा कृषि उत्पादन का प्रचुर भंडार लिये वह सदा ही अपनी संतानों को एक राग भरा, रंगभरा जीवन देती रही है।

पर समय कब रुका है। उत्थान-पतन के बीच सभ्यता और संस्कृति का सफर चलता रहा है। कोई आगे बढ़ गया तो कोई पीछे रह गया। आदिम अवस्था विभिन्न अवस्थाओं और सोपानों से गुजरती हुई बहुरंगी छबियां समय के फलक पर अंकित करती रही। विभिन्न जातियों सभ्यता व संस्कृतियों का आपस में समागम होता रहा है। और इतिहास अपनी अशेष कथा कहता रहा है। यहां भी बाहर से लोग आये मेल-मिलाप हुआ। जीवन व विकास की अनेक स्थितियां उभरती मिटती रहीं।

फिर समय के अंतराल में वे मिलते रहे, घुलते रहे और तब एक संश्लिष्ट, समावेशी, मानवीय और व्यापक जीवन चेतना प्रकट हुयी। आज छत्तीसगढ़ी समाज, जीवन और संस्कृति की यही पहचान है।

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भौगोलिक पृष्ठभूमि

यहां तीन सम्भाग है -

१. बिलासपुर

२. रायपुर

३. बस्तर

बिलासपुर संभाग जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा संभाग है। जिसमें सात जिले शामिल है -

१. बिलासपुर

२. जांजगीर-चांपा

३. कोरबा

४. सरगुजा

५. कोरिया

६. रायगढ़

७. जशपुर-नगर

रायपुर शहरीकरण, राजनिति, उद्योग धंधे, आवागमन के साधन, शिक्षा सभी दृष्ठियों से विकसित संभाग है। आज यह छत्तीसगढ़ की राजधानी है। इसमें ६ जिले हैं -

१. रायपुर

२. धमतरी

३. महासमुन्द

४. दुर्ग

५. राजनांदगांव

६. कवर्धा

यह क्षेत्रफल की दृष्टि से राज्य का सबसे बड़ा संभाग है। यह संभाग आदिवासियों की दृष्टि से न्यूनतम प्रतिनिधित्व करने वाला संभाग है।

बस्तर अपने आप में पूरे हिन्दुस्तान की एक स्वतंत्र इकाई है। प्रकृति की सबसे अधिक कृपा इन प्रकृति-पुत्रों को मिली है। प्रकृति उनको चारों और से सुरक्षित रखती है, और जीवन-यापन के लिए प्रर्याप्त देती है। यही कारण है कि यहां के आदिवासी बाहरी जीवन से बखबर, आत्मलीन अपने प्रकृति जीवन से सदा ही संतुष्ट रहे हैं, और आज भी यही चाहते हैं। प्रकृति की सजीवता, सुषमा और सम्पन्नता इन वनानियों की संस्कृति, जीवन चर्या और कला में परिव्याप्त है। पर वैज्ञानिक और तकनीक दुनिया के बढ़ते पंजो से कौन सुरक्षित आज है? आकाश, जल, थल, वायुमण्डल, जीवन, संस्कृति और सभ्यता कुछ भी नहीं बचा है। फिर भला ये आदिवासी लोग कैसे बच सकते हैं? अत: इनके जीवन में विघटन दिखाई पड़ने लगा है। पर यह तो होनी ही था, और हुआ। यदि हम अपने को नहीं वरन् इन गिरजिनों को केन्द्र में रखकर विकास की परिकल्पनाएं कर सकें, तो शायद इनके साथ न्याय कर सकेंगे। यह भाग अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। यहां के आदिवासियों की जीवन प्रणाली दूसरों से भिन्न है। प्राकृतिक दृष्टि से सर्वाधिक सम्पन्न होने के कारण इसका एक खास महत्व है। इस संभाग में तीन जिले हैं - (१) बस्तर (२) कांकेर (३) दंतेवाड़ा। और दन्तेश्वरी देवी यहां की प्रधान अधिष्ठात्री देवी हैं।

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स्थिति :

छत्तीसगढ़ राज्य १७ उत्तरी अक्षांस से २३.७ उत्तरी अक्षांस तक एवं ८०.४३ पूर्वी देशांतर से ८३.३८ पूर्वी देशांतर में विस्तृत है। इस राज्य का क्षेत्रफल १,३५,१९१ वर्ग किलोमीटर है तथा २००१ के जनगणना के अनुसार इसकी कुल आवादी २.०७ करोड़ है। क्षेत्रफल की दृष्टि से छत्तीसगढ़ का राज्यों में नौवा स्थान है, जनसंख्या की दृष्टि से यह १७वां सबसे बड़ा राज्य है। ...

पंखे के आकार में फैला छत्तीसगढ़ का मैदान, रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, बिलासपुर तथा रायगढ़ में विस्तृत है। इस राज्य को "महानदी कछार' भी कहा जाता है। यह सम्पूर्ण राज्य महानदी का प्रवाह क्षेत्र है। इसकी औसत ऊंचाई लगभग ३०० मीटर है. इस को "धान का कटोरा' कहा जाता है।...

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सीमा :

छत्तीसगढ़ की सीमाएं उत्तर में उत्तरप्रदेश, उत्तर पूर्व में झारखंड, पूर्व में ओड़ीसा, दक्षिण-पूर्व में आन्ध्रप्रदेश और दक्षिण में महाराष्ट्र एवं पश्चिम में मध्यप्रदेश से लगी हुई है।

 

जलवायु :

छत्तीस की जलवायु मुख्यत: उष्णार्द्र तथा अधोआर्द्र प्रकार की है। सामान्यत: इसे उष्ण कटीबंधीय मानसून जलवायु कहा जाता है। समुद्र से दूर होने से छत्तीसगढ़ राज्य इसके समकारी प्रभाव से भी दूर है। यह राज्य कर्क रेखा पर स्थित होने के कारण एक गर्म राज्य है। राज्य में वर्ष का मई माह सर्वाधिक गर्म तथा दिसम्बर-जनवरी माह सर्वाधिक ठण्डे माह होते हैं। राज्य की वर्षा मानसूनी है। राज्य में ९४% वर्षा जून से अक्टूबर माह के मध्य होती है।...

 

मिट्टियां :

छत्तीसगढ़ में लाल, पीली मिट्टी बहुतायत में पायी जाती है। राज्य में चांवल का उत्पादन इसी मिट्टी से होता है। राज्य के मैदान में गहरी चिकनी मिट्टी पाई जाती है। यहां के ढालू भू-भागों में बलुई, दोमट मिट्टी मिलती है जो धान के उत्पादन में सहायक होती है।

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भूमि-शैल-उच्चावच :

प्रदेश के आधे से अधिक भाग में कड़प्पा शैल समूह मिलते हैं। सीमांत के पठारी भाग में धाड़वार तथा गोड़वाना शैल समूह पाया जाता है। प्रमुख चट्टाने, चूना-पत्थर एवं ग्रेनाइट की है। चूना-पत्थर के संस्तर अधिक पाये जाते हैं। धारवाड़ शैल समूह से लौह अयस्क तथा दल्ली राजहरा एवं गोड़वाना शैल समूह से कोयला मिलता है। छत्तीसगढ़ के पश्चिम में मैकल श्रेणी, दक्षिण में बस्तर का पठार, उत्तर में छोटा नागपुर का पठार है।

धरातलीय बनावट एवं उच्चावच की दृष्टि से इस राज्य को दो भागों में विभाजित कर सकते हैं - (१)केन्द्र में स्थित मैदानी भाग (२) सीमांत की उच्च भूमि। सीमान्त की उच्चभूमि को तीन भागों में रख सकते हैं।

१. उत्तरी उच्चभूमि

 

२. मैकल श्रेणी एवं

३. दक्षिण भूमि ...

नदियां :

छत्तीसगढ़ की नदियां राज्य की जीवन-रेखा कही जाती है। इन नदियों के किनारे स्थित गांवों में राज्य की अधिकांश जनता निवास करती है। राज्य की प्रमुख नदी "महानदी' है और इसका उद्गम स्थल धमतरी जिले में सिहावा के पर्वत के निकट है तथा उसकी सहायक नदियां शिवनाथ, हसदेव, मांड, ईब, पैरी, जोक, केलो, उदंती एवं सरवा हैं। महानदी की कुल लम्बाई ८५० कि.मी. है और यह बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है।...

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कृषि :

प्रकृति प्रदत्त भूमि और जल की सुविधा के कारण यहां की आजीविका कृषि प्रधान है। इस अंचल में अच्छी वर्षा होती है। यहां गेहूं, चना, दलहन, तिलहन, गन्ना, कपास आदि कृषि उत्पादन होता है। धान यहां की प्रमुख उपज है। धान के भरपूर पैदावार के कारण ही छत्तीसगढ़ को ""धान का कटोरा'' की संज्ञा दी गई है।

 

खनिज सम्पदा :

खनिज सम्पदा की दृष्टि से यह राज्य देश का एक अति महत्वपूर्ण प्रदेश है। बैलाडीला की वि विख्यात लौह अयस्क भण्डार राज्य की धराहर है। चूना-पत्थर, डोलोमाइट, कोयला तथा बॉक्साइट का राज्य में विशाल भण्डार है। देश का छत्तीसगढ़ राज्य ही एक मात्र ऐसा राज्य है जहां टीन-अयस्क उत्पादित होता है। बहुमूल्य स्वर्ण भी इस क्षेत्र में उपलब्ध है। राज्य में मूल्यवान हीरे की खोज से छत्तीसगढ़ का नाम न केवल देश के खनिज मानचित्र में बल्कि वि के खनिज मानचित्र में भी अंकित है। राज्य में कोरंडम, गारनेट, क्वार्ट््ज, सिलिकासेण्ड, क्वार्ट््जाइट, फ्लुओराइट, बेरिल, कायनाइट, एन्डाल्यूसाईट, सिलिमेनाइट, टाल्क, सोपस्टोन, स्पिएटाइट इत्यादि खनिजों के विभिन्न आयामों में निक्षेप उपलब्ध है।...

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वन :

(अ) वन सम्पदा - वन सम्पदा की दृष्टि से छत्तीसगढ़ अन्य राज्यों की तुलना में एक सम्पन्न राज्य है। इस राज्य में ४५.०६% वनक्षेत्र है। राज्य के कुळ वन क्षेत्र में ३६% भू-भाग "साल' के वन है। राज्य के वनों में दूसरी स्थान "सागौन' का है। जो प्रमुखत: पश्चिमी एवं दक्षिणी क्षेत्र में स्थित है। इसके अतिरिक्त राज्य के वनों में बांस, साजा, सरई, बीजा आदि के वृक्ष भी बड़ी संख्या में पाये जाते हैं।...

(ब) वन्य जीव - छत्तीसगढ़ राज्य में विभिन्न प्रकार के वन्य प्राणियों की प्रजातियां उपलब्ध है। एक ओर जहां मांसहारी खूंखार पशु जैसे बाघ एवं तेन्दुआ प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं, वहीं शाकाहारी पशु जैसे वन-भैंसा, गौर, चीतल, सांभर आदि भी बहुतायत में है। हाथी इस प्रदेश के जशपुर, रायगढ़ एवं सरगुजा जिलों में पाये जाते हैं।...

 

राष्ट्रीय उद्यान तथा अभ्यारण्य

वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य में ४ "अभ्यारण्य' स्थापित है। जिसका विवरण निम्नलिखित है -

(अ) राष्ट्रीय उद्यान - १०

नाम

जिला

१.

इन्द्रावती

बस्तर

२.

कांकेर

कांकार

३.

संजय

सरगुजा

४.

कुटरु

दंतेवाड़ा

(ब) अभ्यारण्य -

नाम

जिला

१. अचानकमार

बिलासपुर

२.

तमोर पिंगला

सरगुजा

३.

उद्यन्ती

रायपुर

४.

सीतानदी

रायपुर

५.

समरसोत

सरगुजा

६.

पामेड़

दंतेवाड़ा

७.

गौमरदा

रायगढ़

८.

बड़नवापारा

रायपुर

९.

भैरमगढ़

दंतेवाड़ा

१०.

बादल खोल

रायगढ़

 

 

 
१.

संपादन : रायजादा के, मधुमोद; प्रतियोगिता साहित्य सीरीज, साहित्य भवन पब्लिकेशन, आगरा; २००० एवं २००१; पृष्ठ ३ एवं ४

२.

शर्मा रामगोपाल : छत्तीसगढ़ दपंण; खंडेलवाल आफसेट प्रिंटर्स, बिलासपुर; २००१

३. संपादन : रायजादा के. मधुमोद; प्रतियोगिता साहित्य सीरीज, साहित्य भवन पब्लिकेशन, आगरा; २००० एवं २००१ : पृष्ठ २९
४.

संपादन : रायजादा के. मधुमोद; प्रतियोगिता साहित्य सीरीज, साहित्य भवन पब्लिकेशन, आगरा : २००० एवं २००१ : पृष्ठ ३१

५. तिवारी श्रीमती भारती : छत्तीसगढ़ के लोग गीतों की परंपरा; वैविध्य के संदर्भ में; गौरा गीतो का सांस्कृतिक अनुशीलन; अप्रकाशित शोध प्रबंध; गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर; वर्ष २००१
६.

संपादन : रायजादा के. मधुमोद; प्रतियोगिता साहित्य सीरीज, साहित्य भवन पब्लिकेशन, आगरा; २००० एवं २००१ : पृष्ठ ३१

७.

संपादन : रायजादा के. मधुमोद; प्रतियोगति साहित्य सीरीज, साहित्य भवन पब्लिकेशन, आगरा; २००० एवं २००१ : पृष्ठ ४०

८.

संपादन : रायजादा के. मधुमोदः; प्रतियोगति साहित्य सीरीज, साहित्य भवन पब्लिकेशन, आगरा; २००० एवं २००१ : पृष्ठ ३६

९.

संपादन : रायजादा के. मधुमोद; प्रतियोगति साहित्य सीरीज, साहित्य भवन पब्लिकेशन, आगरा; २००० एवं २००१ : पृष्ठ ३२

१०.

संपादन : रायजादा के. मधुमोद; प्रतियोगति साहित्य सीरीज, साहित्य भवन पब्लिकेशन, आगरा; २००० एवं २००१ : पृष्ठ ३३

 

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