मालवा

विदिशा का नामांकरण

अमितेश कुमार


जहाँ प्राचीन संस्कृत- साहित्य में विदिशा का नाम वैदिस, वेदिश या वेदिसा मिलता है, वहीं पाली ग्रंथों में इसे वेसनगर, वैस्सनगर, वैस्यनगर या विश्वनगर कहा गया है। कुछ विद्धानों का मानना है कि विविध दिशाओं को यहाँ से मार्ग जाने के कारण ही इस नगर का नाम विदिशा पड़ा।

""विविधा दिशा अन्यत्र इति विदिशा''।

पुराणों में इसकी चर्चा भद्रावती या भद्रावतीपुरम् के रुप में है। जैन- ग्रंथों में इसका नाम भड्डलपुर या भद्दिलपुर मिलता है। मध्ययुग आते- आते इसका नाम सूर्य (भैलास्वामीन) के नाम पर भेल्लि स्वामिन, भेलसानी या भेलसा हो गया। संभवतः पढ़ने के क्रम में हुई किसी गलतफहमी के कारण ११ शताब्दी में अलबरुनी ने इसे "महावलिस्तान' के नाम से संबोधित किया है। १७ वीं सदी में औरंगजेब के शासन काल में इसका नाम आलमगीरपुर रखा गया। सन् १९४७ ई. तक सरकारी रिकॉडाç में इसे "परगणे आलमगीरपुर' लिखा जाता रहा। परंतु ब्रिटिश काल में लोगों में भेलस्वामी या भेलसा नाम ही प्रचलित रहा। बाद में सन् १९५२ ई. में जनआग्रह पर तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद द्वारा इस स्थान का तत्कालीन पुराना नाम विदिशा घोषित कर दिया।

 

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