पंचाल प्रदेश का विस्तार


पंचाल क्षेत्र का भौगोलिक विस्तार समय- समय पर घटता- बढ़ता रहा है, अतः इसके किसी निश्चित सीमा स्वरुप की जानकारी नहीं मिल पाती। महाभारत में उल्लिखित पंचाल राज्य की सीमाएँ सर्वाधिक विस्तृत थी। उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में चंबल तक का भू- भाग "पंचाल क्षेत्र' के रुप में जाना जाता था। एरियन, जिसने पंचाल को पाजाइआज ( घ्ॠझ्ॠक्ष्ॠख् ) कहा है, के यात्रा- वृतांत के अनुसार इस क्षेत्र के मध्य में इक्षुमती नदी बहती थी। इस प्रकार पंचाल की सीमा उत्तर में गंगा के पूर्व तथा अवध के उत्तर- पश्चिम के जिले, दक्षिण में कुरु और शूरसेन जनपदों से दक्षिण- पूर्व का तथा गंगा- यमुना के बीच का पूर्वी प्रदेश सम्मिलित था। डा. कैलाशनाथ द्विवेदी के अनुसार इसका विस्तार दक्षिण के चर्मण्वती ( चंबल ) नदी से उत्तर में हिमालय तक ( २६#ं३" उत्तरी अक्षांस से ३०#ं३०" उत्तरी अक्षांस तक ) तथा पश्चिम मे कुरु राज्य की सीमा से कोसल राज्य की सीमा तक ( ७८#ं पूर्वी देशांतर से ८०#ं५०" पूर्वी देशांतर तक ) निर्धारित किया जा सकता है।

गंगा नदी के उत्तर, वर्तमान रुहेलखण्ड का भाग "उत्तर पंचाल' का तथा गंगा नदी के दक्षिण चंबल के दोआब का भू- भाग "दक्षिण- पंचाल' कहा जा सकता है।

 

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