भारद्वाज आश्रम :-
कुरु राज्य के उत्तर- पूर्व की तर फ उत्तरी- पश्चिमी पंचाल राज्य की सीमा पर हरिद्वार के समीप ही गंगा के किनारे महर्षि भारद्वाज का आश्रम था, जहाँ विभिन्न शास्री की शिक्षा दी जाती थी। पंचाल राज पृषत् महर्षि भारद्वाज के सखा थे। राजा पृषत् के दोनों पुत्रों द्रुपद ( यज्ञसेन ) और द्रोण को यहीं से धनुर्वेद की शिक्षा मिली थी।
अश्वतीर्थ :-
यह तीर्थ गंगा के किनारे अवस्थित था। कुछ विद्वान कन्नौज को ही अश्वतीर्थ मानते है। कहा जाता है कि अश्वतीर्थ में ही महर्षि ॠचीक ने महाभारत गाधि की कन्या से विवाह किया था। महाराज गाधि ने एक सहस्र श्यामवर्ण के घोड़े की माँग की थी। महर्षि ने वरुण से कहकर उसे यहीं प्रकट कर दिये थे।
धौम्याश्रम :-
आरुणेय के गुरु धौम्य का आश्रम गंगा के किनारे ही काम्पिल्य से लगभग २ कि. मी. की दूरी पर फर्रूखाबाद जिलान्तर्गत धौम्यपुर ( धौपुरा ) नामक स्थान माना जाता है। डा. रत्नाकर शास्री इसे वर्तमान धौमनपुरा मानते हैं, जो यमुना के किनारे स्थित है। इसी आश्रम से आत्मज्ञान की प्राप्ति कर आरुणेय पंचालों की प्रबुद्ध परिषद् में शास्रार्थ हेतु गये थे। पाण्डवों ने यही से ॠषि धौम्य को अपना पुरोहित बनाकर द्रुपद के यज्ञवाट में ले गये थे।
उत्कोचक तीथ :-
कम्पिल से २ मील दक्षिण- पश्चिम की तर फ, धौम्याश्रम के आसपास गंगा के तटवर्ती क्षेत्र को उत्कोचक तीर्थ कहा जाता है। पाण्डव अपने प्रवास काल में द्रोपदी स्वंयवर से पूर्व इस क्षेत्र में आये थे।
सोमाश्रयायण तीर्थ :-
यह तीर्थ उत्कोचक तीर्थ के समीप ही स्थित है, जिसका पाण्डवों ने अपने प्रवास काल में दर्शन किया था।
शरद्वीप तीथ :-
यह स्थान कायमगंज तथा रुदायन के बीच एक झील है। इसे स्थानीय लोग "सरदीपकवाल' कहते हैं। महाभारत तथा हरिवंशपुरण में इसी का नाम शरद्वीप तीर्थ के रुप में मिलता है।
रुद्रायण तीर्थ :-
यह महाभारत कालीन स्थान शरद्वीप से १.५ मील की दूरी पर पश्चिम की ओर स्थित रुद्रायन गाँव है।
वाल्मीकि आश्रम :-
रामायण के अनुसार यह आश्रम वर्तमान बिठूर ( प्राचीन ब्रह्मवर्त ) को ही कहा जाता है। यह आश्रम भी गंगा के समीप स्थित है।
उपरोक्त तीर्थों के अलावा भी पंचाल राज्य कई महापुरुषों की वास- भूमि रही है। महर्षि अत्रि, श्रृंगी ( फर्रूखाबाद जनपद के श्रृंगीरामपुर ), दत्तात्रेय, आत्रेय पुनर्वसु, आरुणि, नचिकेता, श्वेतकेतु आदि कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों के आश्रम इसी भूमि में गंगा के पावन तट पर स्थित थे।
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