राजस्थान

मेवाड़ के विभिन्न प्रशासनिक विभाग : एक ऐतिहासिक विवेचन

राहुल तनेगारिया


मेवाड़ रियासत के प्रशासन में बहुत से विभागों की स्थापना की गई थी। इन विभागों को ठकारखाना कहा जाता था और कारखाना के प्रधान को उस कारखाना का ठदारोगा' कहा जाता था। इन कारखानों के नाम निम्नलिखित हैं -

गहने का भण्डार - इस विभाग पर आभुषण तथा कीमती चीजो की जिम्मेदारी होती थी।

कपड़े का भंडार - यह कपडे तथा सिले वस्रों का मुख्य भंडार कक्ष था।

हुकुम खर्च - यह विभाग दरबार से जुड़े खर्च जैसे पुरस्कार, दान आदि का हिसाब रखती थी।

पाणेरा, कामदार, अफसर वगैरा - कार्य करने वाले अधिकारियों का विभाग

रसोडा खाना - महाराणा का रसोई विभाग

बडा रसोडा, खल्ला - सामान्य रसोई विभाग

कोठार - आपूर्ति विभाग। इस विभाग के अन्तर्गत बड़े गोदाम तथा घर बने होते थे जिस में कम-से-कम १००० मन अनाज, घी तथा राशन की अन्य वस्तुए रखी जाती थी।

निज सैनिक सभा या फौज का महकमा

- सैनिकों का प्रधान मुख्यालय । इस विभाग का दारोगा सैनिकों का नेतृत्व करता था।

अर्दली - आज्ञाकारी प्रहरियों का विभाग। जनानी महल के नजदीक एक खास दरवाजा है जहाँ अर्दली बैठते थे। इसे अर्दली की ड्योडी कहते हैं।

बंदूको की ओरी - इस विभाग में राइफल तथा अन्य प्रकार के हथियार बिना बारुद को रखा जाता था।

काड़तूसों की ओरी - विस्फोटक पदार्थ व गोलियों के छर्रे रखने वाला बारुद विभाग।

उपर्युक्त दोनों विभाग सुरक्षा की दृष्टि से राज्य में एक दूसरे के दूर बनाये जाते ताकि राज्य के अन्दर किसी प्रकार के सशक्त चड़ाई छिड़ जाने की सम्भावना कम हो जाए।

सिलेह खाना - छोटे हथियार, बन्दुक, पिस्तोल, आग्नेयास्र या तोपखाना शाखा वाला विभाग।

छूरी कटार की ओरी - इस विभाग में कटार, छुरे, तलवार, बाजुबन्द तथामाले रखे जाते थे।

कपड द्वारा राणा तथा उसके परिवार के व्यक्तिगत इस्तेमाल की चीजों का देखभग्ल करने वाला विभाग

फरास खाना - लोक कल्याण विभाग (पी. डब्ल्यु. डी.)

सेज की ओरी - शयनकक्ष से जुड़ी हुई वस्तुओं (eद्दुद्वेत्द्रथ्रeदःद्यs) का विभाग 

लवाजमे का कारखाना - इस विभाग को वर्दी वाले नौकर चलाते थे इसे श्राध्य (अत्येष्टि) कर्म से जुड़े वस्तु, राज्य चिन्ह, झंडे, बैनर, चंवर, करणी, सूरजमुखी, अडाणी, मोरछल, जूंरे, भाले मेघाडंबर इत्यादि की जिम्मेदारी होती थी।

तखत का कारखाना - पालखी, तखत, तामजाम, मेणा, तबारी इत्यादि के लिए जिम्मेदार विभाग

तबेला या पायंगा - राजकीय सेवा में आने वाले घोड़ो के रहने का व्यवस्था।

बग्गी खाना - बग्गी आदि के सुचारु देखभाल से जुड़ा विभाग

हाथियों का हल्का - हाथियों के रहने की व्यवस्था से सम्बद्ध विभाग 

जैल खाना - कैदखाना विभग

छोटी जैल - छोटे मुकदमें से जुड़ी कचहरी

धर्मसभा - दान, पूण्य, कर्मकांड तथा अन्य विधि विधान से जुड़ा विभाग

ऊँटों का कारखाना - ढोने वाले ऊँटों का विभाग

साडियों का कारखाना - प्रशिक्षित ऊँट (जिसकी सवारी की जा सके) का विभाग

कबूतरारी ओरी - कबूतर, तोते, बत्तख इत्यादि पखेरु पक्षियों का विभाग

नौबत खाना - संगीत उपकरणों वाला विभाग। इसमें प्राय: प्रतिदिन बजनेवाले के तथा युद्ध के समय बजने वाले दोनों प्रकार के वाद्य उपकरण रखे जाते थे।

घडियाल का महकमा - - घडी तथा घंटे वाला विभाग

लाइट का महकमा - - रौशनी की व्यवस्था करने वाला विभाग

अलालदार (नाई, भंगी वगैरह) - स्वच्छता सम्बन्धी विभाग

चतारों का कारखाना या तसवीरों का कारखाना - कलाकारों की कर्मशाला। यह महल में ही बना था जहाँ वे छवी, विभिन्न दृश्य तथा पोथी रंगने का काम करते थे।

महकमा खास
राज्य का गृह - विभाग जो राज्य में राणा के व्यक्तिगत कार्यो का देखभाल करता था।

महकमा हिसाब - लेखा - विभाग जो राज्य में नकद तथा पैसों को विनिमय सम्बन्धी देखरेख करता था।

बक्शी खाना - रिकोर्ड कार्यालय या अभिलेखागार विभाग जहाँ सभी तरह के पुराने रिकार्डो को सुरक्षित रखा जाता था।


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