रुहेलखण्ड

Rohilkhand


होली के गीत

त्योहारों को आधार बनाकर गीत लिखने की परम्परा हमारे देश में अत्यन्त प्राचीन है। भारतवर्ष के प्रत्येक हिस्से में प्रारम्भ से ऐसे गीतों की रचना की गयी जो विभिन्न त्योहारों के अवसर पर गाये जाते थे। रुहेलखण्ड क्षेत्र में ऐसे अनेक गीतों की रचना की गई, जिन्हें त्यौहारों के मौके पर गाया जाता है। होली के अवसर पर गाऐ जाने वाले गीतों की अपनी पृथक पहचान हैं। इन गीतों में कुछ इस प्रकार हैं--

होली गीत
सं०- (
i )

कल कहाँ थे कन्हाई हमें रात नींद न आई
आओ -आओ कन्हाई न बातें बनाओ
कल कहाँ थे कन्हाई हमें रात नींद न आई

एजी अपनी जली कुछ कह बैठूँगी,
सास सुनेगी रिसाई हमें नींद न आई।

एजी तुमरी तो रैन -रैन से गुजरी,
कुवजा से आँख लगाई हमें रात नींद न आई।

एजी चोया चंदन और आरती,
मोति न मांग भराई हमें रात नींद न आई।

कल थे कहाँ कन्हाई हमें रात नींद न आई,
आओ -आओ कन्हाई न बातें बनाओ,
कल थे कहाँ कन्हाई हमें रात नींद न आई,।

होली गीत
सं०- (ii )

र्तृया होली में ला दो गुलाल मेरा जिया न माने रे,
खाने को ला दो पूरी कचौरी चखने को लादो कवाब,
मेरा जिया न माने रे।

पीने को लादो लैमन बोतल चखने को लादो शराब
मेरा जिया न माने रे।

बजानो को लादो तबला सारंगी गढ़ने को लादो किताब,
मेरा जिया न माने रे।

बैठने को लादो चौकी कुर्सी लिखने को लादो किताब,
मेरा जिया न माने रे।

रंगने को लादो पुड़िया बसंती मलने को ला दो गुलाल,
मेरा जिया न माने रे।

होली गीत
सं०- (iii )

अरी भागो री भागो री गोरी भागो,
रंग लायो नन्द को लाल।

बाके कमर में बंसी लटक रही
और मोर मुकुटिया चमक रही

संग लायो ढेर गुलाल,
अरी भागो री भागो री गोरी भागो,
रंग लायो नन्द को लाल।

इक हाथ पकड़ लई पिचकारी
सूरत कर लै पियरी कारी
इक हाथ में अबीर गुलाल

अरी भागो री भागो री गोरी भागो,
रंग लायो नन्द को लाल।
भर भर मारैगो रंग पिचकारी

चून कारैगो अगिया कारी
गोरे गालन मलैगो गुलाल
अरी भागो री भागो री गोरी भागो,
रंग लायो नन्द को लाल।

यह पल आई मोहन टोरी
और घेर लई राधा गोरी
होरी खेलै करैं छेड़ छाड़
अरी भागो री भागो री गोरी भागो,
रंग लायो नन्द को लाल।

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Content Prepared by Dr. Rajeev Pandey

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