उत्तरांचल

अल्मोड़ा के अन्य दर्शनीय स्थल


अल्मोड़ा स्वंय में दर्शनीय है।  परन्तु, उसके आस-पास के क्षेत्रों में भी कई ऐसे स्थल हैं जिनका सौन्दर्य सैलानियों के लिए आकर्षण का विषय है।

कटारमल :

कटारमल का सूर्य मन्दिर अपनी बनावट के लिए विख्यात है।  महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने इस मन्दिर की भूरि-भूरि प्रशंसा की।  उनका मानना है कि यहाँ पर समस्त हिमालय के देवतागण एकत्र होकर पूजा अर्चना करते रहै हैं।  उन्होंने यहाँ की मूर्तियों की कला की प्रशंसा की है।

कटारमल के मन्दिर में सूर्य पद्मासन लगाकर बैठे हुए हैं।  यह मूर्ति एक मीटर से अधिक लम्बी और पौन मीटर चौड़ी भूरे रंग के पत्थर में बनाई गई है।  यह मूर्ती बारहवीं शताब्दी की बतायी जाती है।  कोर्णाक के सूर्य मन्दिर के बाद कटारमल का यह सूर्य मन्दिर दर्शनीय है।  कोर्णाक के सूर्य मन्दिर के बाहर जो झलक है, वह कटारमल मन्दिर में आंशिक रुप में दिखाई देती है।

कटारमल के सूर्य मन्दिर तक पहुँचने के लिए अल्मोड़ा से रानीखेत मोटरमार्ग के रास्ते से जाना होता है।  अल्मोड़ा से १४ कि.मी. जाने के बाद ३ कि.मी. पैदल चलना पड़ता है।  मन्दिर १५५४ मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।  अल्मोड़ा से कटारमल मंदिर १७ कि.मी. की निकलकर जाता है। रानीखेत से सीतलाखेत २६ कि.मी. दूर है।  १८२९ मीटर की ऊँचाई पर बसा हुआ है।  कुमाऊँ में खुले मैदान के लिए यह स्थान प्रसिद्ध है।  कुमाऊँ का यह ऐसा खिला हुआ रमणीय स्थान है यहाँ देश के कोने-कोने से हजारों बालचर तथा एन.सी.सी. के कैडेट अपने-अपने शिविर लगाकर प्रशिक्षण लेते हैं।  यहाँ ग्रीष्म ॠतु में रौनक रहती है।  प्रशिक्षण के लिए यहाँ पर्याप्त व्यवस्था है।  दूर-दूर तक कैडेट अपना कार्यक्रम करते हुए, यहाँ आन्नद मनाते हैं।

'सीतला देवी' का यहाँ प्राचीन मंदिर है।  इस देवी की इस सम्पूर्ण क्षेत्र में बहुत मान्यता है।  इसीलिए 'सीतलादेवी' के नाम से ही इस स्थान का नाम 'सीतलाखेत' पड़ा है। यहाँ पर्यटकों के लिए पर्याप्त व्यवस्था है।  कुमाऊँ मण्डल विकास निगम ने यहाँ पर चार शैय्याओं वाला एक आवासगृह बनाया है।  प्रकृति-प्रेमियो के लिए 'सीतलाखेत'  का सम्पूर्ण क्षेत्र आकर्षण से बरा हुआ है।

'सीतलाखेत' का मुख्य आकर्षम यह है कि यहाँ से हिमालय के भव्य दर्शन होते हैं।  छुट्टियों को शान्तिपूर्वक बिताने के लिए यह अत्युत्तम स्थान है।

उपत :

रानीखेत-अल्मोड़ा मोटर-मार्ग के पाँचवें किलोमीटर पर उपत नामक रमणीय स्थल है।  कुमाऊँ की रमणीयता इस स्थल पर और भी आकर्षक हो जाती है।  उपत में नौ कोनों वाला विशाल गोल्फ का मैदान है।  गोल्फ के शौकीन यहाँ गर्मियों में डेरा डाले रहते हैं।  रानीखेत समीप होने की वजह से सैकड़ों प्रकृति-प्रेमी और पर्वतारोही भी इस क्षेत्र में भ्रमणार्थ आते रहते हैं।  प्रकृति का स्वच्छन्द रुप उपत में छलाक हुआ दृष्टिगोचर होता है।  रानीखेत से प्रतिदिन सैलानी यहाँ आते रहते हैं।

कालिका :

उपत में लगभग एक-डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर कालिक नामक स्थल भी अपनी प्राकृतिक छटा के लिए विख्यात है।  कालिका में 'कालीदेवी' का मंदिर है।  यहाँ काली के भक्त निरन्तर आते रहते हैं।  'कालिका' में वन विभाग की फूलों की एक नर्सरी है।  इस नर्सरी के कारण अनेक वनस्पति शास्र के शोधार्थी और प्रकृति-प्रेमी यहाँ जमघट लगाए रहते हैं।

मजखाली :

कालिक से केवल ७ कि.मी. दूर पर रानीखेत-अल्मोड़ा-मार्ग पर मजखाली का अत्यन्त सौन्दर्यशाली स्थल स्थित है।  मजखाली की धरती रमणीय है।  यहाँ से हिमालय का मनोहारी हिम दृश्य देखने सैकड़ों प्रकृति-प्रेमी आते रहते हैं।  मजखाली से कौसानी का मार्ग सोमेश्वर होकर जाता है।  रानीखेत से कौसानी जाने वाले पर्यटक मजखाली होकर ही जाना पसन्द करते हैं।

 

 

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