महाकवि विद्यापति ठाकुर

जॉर्ज ग्रियर्सन का संकलन

पूनम मिश्र


 

जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन महोदय जो कि स्वभाव एवं पेशे से प्रशासनिक पदाधिकारी थे तथा मधुबनी में एस.डी.एम. के रुप में कार्यरत थे, ने अंग्रेजी भाषा-भाषियों की सुविधा के लिये Asiactic Society of Bengal के १८८२ ई. के एक विशेष अंक में 'An Introduction to the Maithili literature of North Bihar containing grammar, christomathy and vocabulary' नाम से प्रकाशित किया। इसमें गद्य और पद्य के अनेक खण्ड अंग्रेजी-अनुवाद-सहित संगृहीत हुए। इस पुस्तक के पृष्ठ संख्या ३४ पर उन्होंने लोककण्ठ में प्रचलित विद्यापति कवि के ८२ गीतों को विस्तृत भूमिका सहित The poems of Vidyapat Thakur के नाम से प्रकाशित किया। इनमें से ५५ गीत कहीं भी किसी लिखित पाण्डुलिपि के प्रकाशित संग्रह में नहीं थे। महेन्द्रनाथ दूबे के अनुसार ७७ गीतों की प्रामाणिकता में कोई संदेह नहीं है। गुप्त महोदय ने भी ग्रियर्सन के संकलन को देखा था और कहा था, "ग्रियर्सन द्वारा संगृहीत ८२ पद और उनके अंग्रेजी अनुवाद पुस्तकाकार में मुद्रित एवं प्रकाशित हुए हैं, किन्तु एतद्देशीय किसी संकलन में वे संकलित नहीं हुए है।"

 

 

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