महाकवि विद्यापति ठाकुर

बटगमनी

पूनम मिश्र


नव जौबन नव नागरि सजनी गे
नव तन नव अनुराग
पहु देखि मोरा मन बढ़ल सजनी गे
जेहेन गोपी चन्द्राल
बाधल वृद्ध पयोनित सजनी गे
कहि गेलाह जीवक आदि
कतेक दिन हेरब हुनक पथ सजनी गे
आब बैसलऊँ जी हारि
हम परलऊँ दुख-सागर सजनी गे
नागर हमर कठोर
जानि नहिं पड़ल एहेन सन सजनी गे
दग्ध करत जीब मोर
धरम जयनाथ गाओल सजनी गे 
कियो जुनि करय प्रीति
धैरज धय रहु कलावति सजनी गे
आज करत पहु रीती

फरल लवंग दूपत भेल सजनी गे
फल-फूल लुबधल डारि
खोंइछा भरि तोरल फफरा भरि तोरल
सेज भरि देल छीरियाय
फूलक धमक पहुँ जागल सजनी गे रुसि चलल परदेस
बारह बरख पर लौटल सजनी गे
ककबा लैल सनेस ओहि ककबा लय थकरब सजनी गे
रुचि-रुचि कैल सींगार
भनहि विद्यापति गाओल सजनी गे
पुरुषक नहिं विश्वास

लट छल खुजल बयस सजनी गे
बैसल मांझ दुआरे
ताहि अवसर पहु आयल सजनी गे
देखल नयन पसारे
एक हाथ केस सम्हारल सजनी गे
अचरा दोसर हाथे
पहु के पलंग चढि बैसल सजनी गे
तखन करथि बलजोरे
नहिं-नहिं जओं हम भाखीय सजनी गे
तओं राखथि मन रोशे
भनहि विद्यापति गाओल सजनी गे पुरुषक यैह बढ़ दोषे।।

तरुणि बयस मोही बीतल सजनी गे
पहुँ बीसरल मोहि नामे
कुसुम फूलि-फूलि मौललि सजनी गे
भमरा लेल
बिश्रामें
चानन बुझि हम रोपल सजनि गे
हिरदय कोरि थल देल
नयनहुँ नीर पटाओल सजनी गे
आखिर सिम्मर भेल

ई दिन बड़ दुर्लभ छल सजनी गे
देखब नन्द-दुलारे
हरियर गोबर आंगन नीयब
धुपहिं देब गमकाई
करपुर लै हम पान लगाएब नीरमल जल पीयाई
ई दिन बड़ दुर्लभ छल सजनी गे
देखब नन्द-दुलारे
लाल पलंग हम झारि ओझाएब रुनुकि-झुनुकि हम पहुँ घर जायब 
घूँघट लेब सम्हारि
भनहि विद्यापति गाओल सजनी गे
पुरुषक नहिं विश्वासे
ई दिन बड़ दुर्लभ छल सजनी गे
देखब नन्द-दुलारे

 

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