Yugantar

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श्री जटाशंकर दास

-"" अपनेक नाम ?''

-"" जटाशंकर दास''

-"" अपनेक पिताक नाम ?''

-""स्व. मनमोहन दास, माता- स्वर्गीया देवकी देवी''

-"" अपनेक जन्म तिथि ? ''

-""03.03.1923 ''

-""अपने अग्रज''

- स्व. गौरीशंकर दास.... राज दरभंगामे सेवापन्न रहलाह । हमर भाउज छलीह स्वर्गीया अन्नपूर्णा देवी । एहि प्रसंग एकटा उल्लेखनीय बात कहैत छी.....

-"" जी कहल जाए..... ''

-""हमर भाउजक देहान्त भ ' गेलनि । साले-साल बरखी होइत गेलनि । पाँचम बरखीसँ पूर्व हमरा ज्ञात भेल जे मैथिलीमे लीखल हुनक स्वरचित गीतक छनि । बरहेताक सुकवि दामोदर लालदाससँ ओ प्रेरणा ग्रहण कएने रहथि । पोथी देखि क' हमर मोन  गद्गद भ' गेल । हम कहलियनि जे पाँचम बरखीमे भोज-भात थोड़-थाड़ होएत-ब्राह्मण-कायथ सब बादमे भोजन करताह- पहिने हुनक लीखल पुस्तक छापल जाएत । से ठीके, पाँचम बरखी दिन हुनक लीखल पोथी मैथिली गीतमाला छपिक' चल आएल । .... हमर भाउज तँ नहि छथि मुदा हुनकर पोथी हुनका अमर क' दःेलकनि । ''

-"" अपनेक शैक्षणिक योग्यता ? ''

-"" एम.कॉम. द्वितीय श्रेणी प्रयाग विश्वविद्यलयसँ सन् 1949 ई. मे प्राप्त कएल । ''

-"" जन्म भूमि ?''

-"" ग्राम-सरहद, पो. लोहट, जिला मधुबनी ''

-"" पटनामे अनेक मकान''

-""पटनामे मकान । हँ-हँ, अछि.... अपन मकान अछि- पटनदेवी गढ़ा, पटना-7 मे । हमर एक बालक सम्प्रति ओहि मकानमे रहैत छथि ।''

-"" कोनो आन विशेष उल्लेखनीय सूचना ?''

-""हँ-हँ, स्वतंत्रता सेनानी । 3600/ - रु. प्रतिमास पेन्सन भेटैत अछि । एखन एक सालसँ रेलवेक पास नहि अछि... आब फेर बना लैत छी ।''

19 अगस्त 2001 । रवि । हम सरहद गामक कायथ टोल लऽग ठाढ़ छी । गाछी-विर्छी । पात-पल्लो । पोखरि-जलाशय । तावत एक जन पनरह-सोलह बरखक बालक एकपेरिया धएने सड़क दिस चल जाए लगलाह ।

-"" अहाँक नाम ?''

-"" अवधेश कुमार दास ''

-"" अहाँ जटाशंकर बाबूकें चिन्हैत छियनि ? हुनक घऽर ? गामे छथि की ?''

-"" ओ तँ हमर बाबा छथि । पूजापर बैसल छथि । हम हुनक पौत्र । ''

अवधेशजीक संग हम एकटा पुरान टाइपक चतु : शाल मकानक मुख्यद्वारमे प्रवेश क ' जाइत छी । ओसरा पर आदरणीय जटाशंकर बाबू पूजा करैत .... जय हनुमान ज्ञान गुन सागर... जय कपीश तिहुँलोक उजागर... वल्लभाचार्यक अधरं मधुरं... रामचरित मानसक... भए प्रकट कृपाला... नमामीशमीशान... दुर्गा प्तसतीक किछु अंश.... सीता राम-सीता राम कहिए...

- संकेतसँ कहलनि- बैसल जाए ... "" पूजाक बाद गप्प हेतैक। मधुर आध्यात्मिक स्वर-लहरीमे हमहूँ तन्मय भ ' गेल रही । ''

पैघ चतु : शाल मकान ... चारुकात कोठा... बीचमे चौकी । आंगन । कात कोनमे गेना फूलक गाछ । गाछक छोट-छोट डारि । डारिमे लागल छोट-छोट पात । झुमैत पात, झुमैत गाछ ।

जटाबाबू हमर दुनू हाथ पकड़ैत कहलनि- "" चलल जाए ... अध्ययन-कक्षमे बैसी । ''

हम कहलियनि- पहिने अपने जल-थमन क ' लिऔ । हम निश्चिन्त भ ' ' आएल छी। हड़बड़ी नहि अछि ।

-""अरे  ! चलू ने ! गप्पो हेतैक... सब किछु हेतैक ।"" अध्ययन-कक्षमे अन्दाज पचासेक मैथिलीक पत्रिका-स्मारिका-कर्णामृत, समय-साल, मिथिलांगन, चेतल मिथिला आदि । चेतना समितिक अनेक स्मारिका ! गाँधी, जयप्रकाश आदि विभिन्न महापुरिसँ सम्बन्धित पुस्तक । पुरान टाइपक आराम कुर्सीपर बैसबैत हमरा कहलनि- हम सी.एम. कॉलेजक छात्र रहल छी । ओतहि बियालिसक आन्देलनमे भाग लेने रही । पलंग पर स्थिर भेल बैसेत छथि ।... ''अहाँकें एकटा रहस्यक गप्प कहैत छी ।""

-""जी... ''

-""हमर अध्ययन, हमर छात्र-जीवन अत्यन्त गरीबीमे आरम्भ भेल रहय । हम जखन मएट्रिक पास कएलहुँ तँ हमर परिवारक आर्थिक स्थिति अत्यन्त विपन्न । हमरा लग ओतेक पाइ नहि रहए जे सी.एम. कॉलेजमे एडमिशन लितहुँ । सम्पूर्ण परिवारमे घोर उदासी । हम कोना पढ़ब ? हमरा कओलेजमे पढ़बाक अतिशाय इच्छा । हमर पिता अत्यन्त सात्विक लोक । ओ कहलनि जे जमीन कोन दिन काज आओत ? 10 कट्ठा जमीन पाँच रुपये प्रति कट्ठाक दरसँ भरना राखिक ' हमर पिता हमरा सी.एम. कओलेजमे नाम लिखौलनि । आइ.कॉम.मे हमर एडमीशन भेल । धन्य नेशनल स्कूल... कमलेश्वरीचरण सिन्हाक नेशनल स्कूल.... ओ हमरा एकटा रुम द ' देलनि । पाँच रुपये मेसक खर्चा । खानगी पढ़ा क ' हम अपन आर्थिक व्यवस्था कर लगलहुँ । मुदा पढ़बामे व्यवधान भ ' गेल ।

-""से किएक?''

- असलमे हम बाल्यकालेसँ स्वतंत्रता आन्दोलनक गतिविधिसँ जुड़ल रही । स्कूलेमे छात्र युनियनसँ घनिष्ठ सम्बन्ध रहए । पण्डौल हाइ स्कूलक यूनियनक सचिव निर्वाचित भेल रही । ब्रिटिश सरकारक खिलाफ आन्दोलन, जुलूस, सत्याग्रह, पिकेटिंग आदिमे भाग लैत रही । फलत : तिर्हुत डिवीजनक कमिश्नरक हम कोपभाजन बनलहुँ । हमरा, हमर पिताकें आ हमर हाइ स्कूलक प्रधानाध्यापकें " सम्मन " कएने रहथि तिर्हुत डिवीजनक कमिश्नर ! ओतऽ पहुँचला पर पिता एवं हेडमास्टर साहेबक समक्ष हमरा "सखत" चेतौनी देल गेल  - कहल गेल ब्रिटिश सरकारक विरोधमे काज करब बन्द करु अन्यथा कठोर-सँ-कठोर कार्रवाइ होएत । पूर्व सांसद कम्युनिष्ट नेता कामरेड भोगेन्द्र झाकें सेहो ओही दिन कमिश्नरसँ एही तरहक चेतौनी भेटल रहनि ।''

-""एहि चेतौनीक अपने पर की प्रतिक्रिया भेल ?''

-""की प्रतिक्रिया भेल ?'' और आगि धधकि उठल  भारत छोड़ो आन्दोलनमे हम सक्रिय रुपें भाग लेने रही । ओहि समयमे दरभंगाक मिथिला कओलेज स्वतंत्रता आन्दोलनक केन्द्र भ ' गेल रहैक । ललित नारायण मिश्र, भोगेन्द्र झा, कर्पूरी ठाकुर, रमाकान्त झा आदि अनेक छात्र जे एहि कओलेजमे पढ़ैत रहथि- सक्रिय रुपें स्वतंत्रता आन्दोलनमे भाग लेने रहथि । .... हम ओहि समयमे मिथिला कओलेज, दरभंगाक द्वितीय वर्ष वाणिज्यक छात्र रही प्रदर्शन, सभा, धरना आदिमे हमर सक्रिय बऊमिका रहल । बादमे पुलिस हमर पाछाँ दउगऽ लागल तँ हम भूमिगत भ' क' काज करए लगलहुँ । एहि क्रममे सरहद गाममे हमर पुश्तैनी घरपर पुलिस आ गोरा पलटन रातिमे घनघोर तलाशी लेने रहय । घंटो धरि तलाशी लैत रहल । घऽरक बहुत समानकें बर्बाद क' देलक । तोड़-फोड़ कएलक । ""

-" अपने गिरफ्तार सेहो भेल रहिऐक ?'

-"" 22 जनवरी, 1944 , एखनहुँ हमरा मोन अछि, पुलिस छापामारीमे हम अचानक  पकड़ल गेल रही । विचारधीन एवं सजभोगी बन्दीक रुपमे दभंगा एवं भागलपुर कैम्प जेलमे हमरा राखल गेल । एहि क्रममे दू साल हमरा कओलेजक पढ़ाइ छोड़ ' पड़ल । हम आइ. कॉम. कएलाक बाद, मारबड़ीं कओलेज, भागलपुरसँ बी.कॉम. कएल आ प्रयाग विश्वविद्यालयसँ एम.काम.क डिग्री प्राप्त कएल ।''

-""अपनेक राजनीतिक विचारधारा ?''

'' हम समता, स्वतंत्रता, न्याय आ भ्रातृत्वक चिन्तनसँ प्रभावित रहलहुँ अछि । ओना हम पूर्णत समाजवादी विचारधारक प्रति प्रतिबद्ध छी । गाँधीक जीवन-दर्शन हमरा प्रभावित करैत रहैल अछि । गैर कांग्रेसी विचारधारासँ जुड़ल रहलहुँ । वसावन सिंह, कर्पूरी ठाकुर, कमला सिन्हा, डा. लोहिया आदिसँ घनिष्ठ सम्पर्कमे रहलहुँ । 1 953 सँ राज्य सरकारक सेवामे रहलहुँ मुदा अपन राजनीतिक विचारधारासँ समझौता नहि कएलहुँ । अहाँकें कहब तँ आश्चर्य होएत... '

-""जी, से की ?''

"" जखन 1974-75 मे बिहारमे जयप्रकाश नारायणक नेतृत्वमे सम्पूर्ण क्रान्ति आन्दोलन चलैत रहैक तँ हम सरकारी सेवामे रहितहुँ प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रुपें एहि आन्दोलनसँ जुड़ल रही । हम आरम्भेसँ व्यवस्थामे विद्रोह चाहैत छी, व्यवस्थामे परिवर्तन चाहैत छी ।... यथास्थितिवादक घोर विरोधी रहलहुँ । इमर्जेन्सीक कालमे कांग्रेसी सरकारक द्वारा हमरा सरकारी सेवासँ हँटएबाक षड्यंत्र रचल गेल । अनिवार्य सेवानिवृत्ति योजनाक हमरा सरकारी सेवासँ षड्यंत्र हँटएबाक प्रक्रिया आरम्भ भेल । मुदा धन्य कही विद्याकर कवि कें ....

-" जी... '

-''विद्याकर कवि हमरा बड़ मानैत रहथि । साहित्यिक संस्कारसँ ओत प्रोत, भावुक आ संवेदनशील । जनचेतनासँ जुड़ल राजनीतिज्ञ । जखन मंत्रिमण्डलक समक्ष हमरा हँटएबाक प्रस्ताव उपस्थित कएल गेलैक तँ विद्याकर कवि जे तत्कालीन सरकारमे शिक्षामंत्री रहथि... प्रस्तावक घोर विरोध कएल ... हुनक विरोधक कारणे हमर नौकरी इमर्जेन्सी बाँचि गेल । एही तरहें कांग्रेस- विरोधी रहलाक कारणे हमरा एकटा लाभसँ वंचित क' देल गेल ।""

-""से की ?''

स्वतंत्रता सेनानीकें सरकारी सेवामे दू सालक सेवा-विस्तारक लाभ भेटैत छनि । हमर जखन अवकाश-ग्रहाणक समय आयल तँ तखन रहैक कांग्रेसी सरकार । हमरा सेवा विस्तारक लाभसँ वंचित क ' देल गेल । ''

-""राजनीतिक दलसँ अपनेक समबन्ध ?""

"' अवकाश ग्रहण कएलाक बाद हम जनतादल एवं जनमोर्चाक सक्रिय सदस्यक रुपमे अपन राजनीतिक गतिविधिकें तेज कएने रही । बाद मे जनतादलक अनेक विभाजन भ ' गेलैक । हम एखन श्री चन्द्रशेखरजी (पूर्व प्रधानमंत्री) क नेतृत्वमे समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) सँ सम्बन्धित छी । प्रान्तीय उपाध्यक्षक रुपमे आ बिहार प्रदेशक चुनाव अधिकारीक रुपमे हम एहि पार्टीमे क्रियात्मक योगदान करैत रहलहुँ अछि । ... ओना हम आब क्रमश : राजनीतिक गहमागहमी सँ हँटिक ' भाषा आ संस्कृतिक संघर्षमे समर्पित होब ' चाहैत छी। ""

सरहद गामक एकटा पुरान टाइपक कोठामे एकटा छोटछीन कोठलीमे हम बैसल छी । मिथिला आ मैथिलीक एकान्त चिन्तक, मैथिलीक केन्द्रीय संगठन चेतना समितिक स्तम्भ, अनेक मान-सम्मानसँ सम्मानित श्री जठाशंकर दास आब मिथिला राज्यक कट्टर समर्थक छथि ।सक्रिय रुपें मिथिला राज्य-आन्दोलनसँ जुड़ल छथि ।

-""मिथिला राज्यक प्रसंग अपनेक की दृष्टिकोण अछि ?""

-""हमर दृष्टिकोण..... डंकाक चोट पर कहैत छी मिथिला राज्य बनय । हम एम्हर अनेक लेखमे मिथिला राज्यक समर्थनमे अपन विचार व्यक्त कएने छी । जँ मिथिला आ मैथिलीक एहिना उपेक्षा होइत रहल तँ मैथिली रणचण्डी बनि जयतीह । पहिने मिथिला राज्यक प्रसंग हमर दोसर तरहक धारणा छल ।""

-""जी, से की ?""

-""देखू, डा. लक्ष्मणझा जे मिथिलाक स्वतंत्र राष्ट्रक रुपमे निर्माणक संकल्पना कएने छथि तकर हम पहिनहु विरोधी रही आ एखनहु छी । मुदा जानकीनन्दन सिंह जे पृथक मिथिला प्रान्तक आन्दोलन ठाढ़ कएने रहथि से आब कहैत छी, हृदय सँ कहैत छी.... ओ आन्दोलन ऐतिहासिक आन्दोलन छल । पहिने हमरा शंका होइत छल जे पृथक मिथिला प्रान्त भेलासँ एहि क्षेत्रक लोकाकें आर्थिक क्षति होएतैक । छोटानागपुरक खनिज-उद्योग आदिक लाभासँ हम सब वंचित भ' जाएब । मुदा आब तँ सेहो लोभ नहि रहल । बिहारक बँटवारा भ' गेलैक । झारखण्ड अलग भ' गेलैक । आब जे बिहार छैक ताहिमे मिथिलाक अपन विशिष्ट संस्कृति छैक, भाषा छैक, स्वरुप छैक । तें हम आब निर्द्वेन्द्व रुपें मिथिला प्रान्तक समर्थन कए रहल छी । मिथिला राज्यक निर्माणसँ एहि क्षेत्रक आर्थिक विकास हेतैक । छोट-छोट राज्यक गठनसँ क्षेत्रक सरवतोन्मुखी विकास होइत छैक । एखन जेना मैथिलीक उपेक्षा आ अपमान भ' रहल अछि से मिथिला राज्य बनलासँ नहि होएत।""

-""अपनेक हृदयमे जे मातृभाषा मैथिलीक प्रति अपार स्नेह आ आस्था अछि तकर की कारण ?""

- असलमे हमर सभक घऽर-आङ्नमे, परिवारमे.... सबठाँ मैथिलीक प्रति लोककें स्नेह रहलैक अछि ..... एखनहु हमर परिवारमे सब बाल-बच्चा मैथिली भाषा लिखैत-बजैत छथि । जखन दरभंगामे पढ़ैत रही तँ आचार्य रमानाथझा, प्रो. तन्त्रनाथ झासँ सम्पर्क रहए। मुन्शी रघुनन्दन दास, नरेन्द्रनाथ दासक परिवार सँ घनिष्ठ सम्बन्ध रहल । ड़य ब्रजकिशोर वर्मा ' मणिपद्म ' क संग साहचर्य आ सत्संगित रहल । तें स्वाभाविक रुपें मातृभाषाक प्रति अखण्ड आस्था जागल । मुदा मैथिलीक प्रति जे अनन्य अनुराग भेल, तकर कारण भेल प्रख्यात शिक्षाविद् डा. अमरनाथ झाक स्नेहपूर्ण आशीर्वाद । जखन हम प्रयाग गेलहुँ पढ़बाक हेतु तँ एक दिन अवसर पाबि डा. अमरनाथ झासँ भेंट करबाक हेतु निवासस्थान पर पहुँचलहुँ । हम अपन परिचय देलियनि ।  हमरा संग ओ विशुद्ध मैथिलीमे गप्प कएलनि । जखन आब लगलहुँ तँ ओ हमरा एकगोट टेस्टीमोनियल देलनि । थम्हू, देखबैत छी ।""

जटाबाबू पुरान फाइलमेसँ बहार कए डा. अमरनाथ झाक देल टेस्टीमोनियल देखबैत गद्गद् भ ' उठलाह- "" ओहि समयमे सम्पूर्ण भारतमे मात्र तीन गोट शिक्षाविद्क धूम मचल रहए- डा. अमरनाथ झा, डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन आ तेसर डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ।... अमरनाथबाबूकें मातृभाषाक प्रति अनन्य अनुराग देखलियनि । से भावना हमरो मोनमे जागल- से चिनगारी हमरो मोनमे ज्वलित भेल। ""

तावत दू कप चाह अवधेशजी आनिक ' राखि देलनि । अन्दाज 9- 10 सालक एकटा बालिका दू गिलास पानि राखिक ' सामनेक स्टूल पर बैसि गेलीह । जटाबाबू कहलनि- ई हमर पौत्री.... हमर जेठ भाइ स्वं. गौरीशकर दासक पौत्री । एखन अवस्थे की छइक मुदा मैथिली गीत गाबिक ' सुनाओत तँ झुमा देत । हमर परिवारक मायारानी दासक गीत रेडियोमे अहाँ सुनैत होएब । बटुक भाइ हमर अत्यन्त आत्मीय । आब तँ रेडीयोमे नीक-नीक कलाकारक उपेक्षा होइत छैक । पैरवी- पैगाम... जुलूम भ ' रहल छैक। पहिने एना नहि होइत छलैक । तथापि कहियो काल मायारानी दासकें मैथिलीमे गीत गबैत अहाँ सब सुनैत होएबनि । ""

हम चाहक कप उठबैत पुछलियनि- ""मैथिला ककर थिकैक ?""

जटाबाबू चाह पिबैत रहथि, गम्भीर होइत कहलनि- अहाँ जे प्रश्न पूछल अछि तकर अभिप्राय हम बूझल । एहि प्रश्न पर व्यापक रुपें बहस होएबाक चाही । एखन मिथिला आ गम्भीर संकट अछि । अपमान आ उपेक्षा भ ' रहल अछि । मिथिलाक संरचनाकें व्यापक करए पड़त । वृहत्तर समाजक संगठन अपेक्षित अछि ।हि दिशामे गामे-गाम संगठन कर ' पड़त । राजा सलहेसक गीतमे केहन मधुर मैथिली रहैत छैक । विलट पासवान ' विहंगम ' , रघुवीर मोची, बुचरु पासवान, मोती लाल यादव, रामलखन राम ' रमण ' आदि अनेक व्यक्ति वृहत्तर मैथिल समाजकें सुसंठित कए रहल छथि ।

-""मैथिलीमे वृहत्तर समाजक सुसंगठनक हेतु अपनेक सुझाव ?""

-""देखू, एहि क्षेत्रमे हमर व्यापक अनुभव अछि तें हम गम्भीरतापूर्वक एहि प्रसंग कहि सकैत छी....""

-""जी, कहल जाए.....""

-""पहिल तँ ई जे जड़ता तोड़ए पड़त ।""

-""जड़तासँ की अर्थ ?""

-""अपना लोकनिक इलाकामे जड़ताक अर्थ होइत छैक जातिवाद बन्हन, अह्म्मन्यता, अनकर बात नहि सुनबनि बाज नहि देबनि... से आब नहि चलत... सोति.. ब्राह्मणसँ पैघ संसार लोकसंस्कृतिक, लोकभाषाक... तें मिथिला-मैथिलीक परिक्षेत्रक, भाषा-संस्कृतिक स्वरुपकें सुपरिभाषित कर' पड़त। आउ ! गरीब मैथिल.. अमीर मैथिल.. पढ़ल मैथिल..... बिनु पढ़ल मैथिल.... सभक मातृभाषा मैथिली थिक । सब माँ मिथिलाक सन्तान थिकहुँ । महान भारतक महान सपूत । हमरा तँ एतेक धरि अनुभव अछि जे अनेक मुसलमान मैथिलीक प्रति हार्दिक अनुराग रखैत छथि ।

- जेना ....

-""जेना किछु गोटेक नाम एखन मोन पड़ैत अछि .... से कहि दैत छी । मुदा नाम अनेक अछि । मुसलमान लोकनि- विशेष रुपें मैथिल मुसलमान लोकनि हृदयसँ मैथिलीक अभ्युत्थान चाहैत छथि ।""

-""जी, नाम कहल जाए.... ""

-""समी नदवी, पूर्व विधायक,मधुबनीक सफी कुल्लाह अन्सारी, अबुल महोम्मद नूर आदि ।""

-""एखन मैथिलीक समक्ष कोन-कोन संकट छैक?""

-""पहिल संकट छैक बिहार लोकसेवा आयोगसँ मैथिलिक निष्कासन... ई अत्यन्त असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक..... अन्यायपूर्ण कुकर्म थिक । भाषा आ संस्कृतिक मूल संरचना पर आघात करब वर्वरता थिक । भारतमे अनेकतामे एकताक संसकृति रहलैत । भाषा आ संस्कृति पर जँ एहिना आक्रमण होइत रहलैक तँ भारतक अनेकतामे एकताक संस्कृतिकें बँचाएब कठिन भ' जाएत । ..... अहाँकें तँ बुझले होएत जे बिहारक हाइकोर्ट सरकारक निर्णयकें निरस्त क'देलक.... पुनः मैथिलीकें लोकसेवा आयोगमे सम्मिलित करबाक पक्षमे निर्णय देने अछि ।""

स्वतंत्रता आन्दोलनक तीर्थगाम सरहद (पंडौल)क प्रखर स्वतंत्रता सेनानी वयोवृद्ध श्री जटाशंकर दास अपन देशमे, स्वतंत्र देशमे एहन वर्वर सरकारी निर्णयसँ मर्माहत छथि।

-"" हम फेर कहैत छी जे जँ मिथिला आ मैथिलीक एहिना अपमान भेल, तिरस्कार भेल तँ मैथिली रणचण्डी बनि जयतीह ।""

तावत जेना किछु मोन पड़लनि.... हड़बड़ा उठलाह.... अवधेश आ स्वाती गप्प सुनैत बैसल रहथि... उच्च स्वरे बजलाह- स्वाती .... स्वाऽऽती

स्वाती - की ? बाबा एतहि छी ।""

- स्वाती गे, कहुन .... पाहुन आएल छथि.... भोजनक ओरिआओन....

फेर हमरा दिस अभिमुख होइत कहलनि- "" आइ एतहि हाथ धोबए पड़त..... ""

हम संकोचमे पड़ि गेलहुँ.... कहलियनि- "" भोजन हम क ' ' आएल छी । ""

घड़ी देखैत कहलनि- "" एखन एगारह बजैत अछि... अहाँ आठ-साढ़े आठमे दरभंगासँ चलल होएब..... भोजन आइ एतहि करए पड़त.... ""

हमरा रवि रहए अनोना... से कहल नहि भेल । सरहद वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी जटाशंकर बाबूक आंगनक पात परहक अन्न अमृत होएत । कहलियनि- "" जी, भोजन क ' लेब । ""

स्वाती उठिक ' चल जाइत रहलीह....... गप्पक क्रम किछु काल भोतिआइत रहल..... हम मुदा साकांक्ष... अवसर पाबि पुछलियनि- अपनेकें चेतना समितिक ' संग सम्पर्क कोना भेल ?"

- हम 1949 मे पटना चल आएल रही । पहिने एकटा प्राइवेट फार्ममे काज करैत रही। बादमे 1953 सँ बिहार लोकसेवा आयोग सँ चयनित भ ' सरकारी सेवामे योगदान कएल । ओहि समयमे स्वतंत्रताक अरुणोदय भेल रहैक । सभक मोनमे अपन-अपन संकल्प । बंगाली लोकनिक मातृभाषा- प्रेम देखि हमरो मोनमे मातृभाषाक अभ्युदक हेतु एक प्रकारक चेतना जागल.... एही बीच पटनामे यात्रीजीक प्रेरणा, उत्साह आ सरंक्षणमे चेतना समितिक स्थापना भेल । प्रो. सुरेश्वर झा सेहो एक प्रमुख संस्थापक रहथि । हमहूँ चेतना समितिक संस्थापक सदस्यक रुपमे बुझू चेतना समितिक संग जुड़लहुँ । ""

-""जी, तकर बाद""

-"" तकर बाद तँ हमर प्राण-चेतनामे 'चेतना समिति' समाहित भ' गेल ।"

-""अपने चेतना समितिक पदाधिकारीक पदकें सेहो सुशोभित कएने रहिके ?""

-""हँ, अनेक बेरि चेतना समितिक पद पर हमर निर्वाचन भेल । सचिवक पद अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होइत अछि । मैथिलीक अनेक गण्यमान्य व्यक्ति लोकनिक संग हम 'समिति'क क्रियाकलापमेभाग सैत रहलहुँ ।

-""अपने कोन-कोन सत्रमे सचिवक पद पर निर्वाचित भेल रहिऐक ?

किछु स्मारिका आदिक सहयोग सँ, किछु पुरान कागत-पत्रसँ, किछु मोन पाड़ि क ' विवरण देब ' लगलाह- सबसँ पहिल खेप हम 1958- 59 मे सचिवक पद पर निर्वाचित भेल रही, ओहि खेप अध्यक्ष रहथि दिवाकर झा पुनः 60- 61 एवं 61- 62 मे सेहो हम सचिवक पदभार ग्रहण कएने रही । एहि दुनू सत्रमे अध्यक्ष रहथि बाबू चन्द्रधारी सिंह । 63- 64 क सत्रमे सेहो हमरा सचिवक पद पर आसीन कएल गेल । मुदा एहि खेप अध्यक्ष रहथि श्री श्रीकान्त ठाकुर विद्यालंकार । 1965- 66 मे हम उपाध्यक्ष भेल रही । 1977- 79 मे अध्यक्ष भेल रहथि दिवाकर बाबू आ हम उपाध्यक्षक रुपमे पदभार ग्रहण कएने रही ""

-""अपने पुनः एम्हर आबिक' सचिवक पद पर आसीन भेल रहिऐक ?""

-""हँ-हँ, 1986-88 मे सचिवक पद पर हमर निर्वाचन भेल । अध्यक्ष भेल रहथि श्री विजय कुमार मिश्र- ललित बाबूक बालक । 1991-92 मे सेहो हम चेतना समितिक सचिवक पदःभार ग्रहण कएने रहिऐक । एहि खेप अध्यक्ष भेल रहथि पं. जयदेव मिश्र ""

-""जी, कहल जाए चेतना समितिक मुख्य उपलब्धि ?""

""मैथिलीक सबसँ पैघ संस्था.... सबसँ अधिक क्रियाशील, संस्थामे निरन्तर लोकतांत्रिक प्रक्रिया, संगठनक दृष्टिसँ मैथिलीक सर्वश्रेष्ठ संस्था... विद्यापति भवनक निर्माण... राजेन्द्र नगरमे भूखण्ड आदि.... प्रकाशन... विचारगोष्ठी... विद्यापति स्मृति-पर्व ।""

-""चेतना समिति'क प्रसंग अपनेक कोनो विशेष दिशानिर्देश ?""

-""हँ, मिथिला आ मैथिलीक आन्दोलनक नेतृत्व करए... वृहत्तर समाजक स्वरुपकें ठाढ़ करबा मे कार्य-योजना तैयार करए ! पृथक मिथिला प्रान्तक आन्दोलनक नेतृत्व करए ।""

-""पहिल तँ ई जे मैथिली आ मिथिलाक विकासक लेल एक गोट दैनिक पत्रक प्रकाशन अत्यन्त अपेक्षित । लोकतंत्रमे पत्रकारिताक अन्यतम महत्त्व । दैनिक पत्र चिनगारीक काज करत । प्रतिदिन चिन्तन, प्रतिदिन विचार, प्रतिदिन समाचार... मैथिली भाखामे । एकर केहन प्रभाव पड़तैक तकर अनुभव क' सकैत छी ।""

-""दोसर, मैथिली भाखाक प्रति मैथिली ठात्रलोकनिमे चेतनाक जागरण ... ई काज प्रथमिक आ माध्यमिक विद्यालयक शिक्षक लोकनि क' सकैत छथि । कओलेजक शिक्षक आ विशेष रुपें मैथिलीक प्राध्यापक लोकनि क' सकैत छथि ।""

-""आ तेसर राजकीय सबर्द्धन, संरक्षण... अष्टम अनुसूचीमे मैथिलीक स्थान, राजभाषाक रुपमे मान्यता, बिहार लोकसेवा आयोगमे मैथिलीक पुनः सम्मानजनक प्रवेश !.... हँ, एकटा बात...""

-""जी, से की ?""

-""मिथिला राज्यक प्रसंग अपनेक की दृष्टिकोण अछि ?""

-""राष्ट्रभाषा हिन्दीसँ हमरा लोकलिकें कोनो विरोध नहि अछि ।""

-""बाबू भोला लालदासक जीवनी लिखबाक प्रेरा अपनेकें कतए सँ प्राप्त भेल ?""

-""असलमे, साहित्य अकादेमी, नई दिल्लीक विशेष निवेदन पर हम ई पुस्तक मैथिलीमे लीखल । हम कोनो पाण्डुलिपि नहि समर्पित कएने रहिऐक .... हम कोनो आग्रह-अनुग्रह नहि कएने रहिऐक । हम ककरो लऽग पैरवी नहि कएने रही । तहिया सुरेश्वर बाबू रहथि मैथिलीक प्रतिनिधि... साहित्य अकादेमीमे हुनके प्रयाससँ, उद्योगसँ हमरा पत्र भेटल.... बाबू भोला लालदासक जीवनी लिखबाक हेतु । हमरा भोलाबाबूक प्रति अनन्य निष्ठा... हुनक मैथिली-प्रेम एखनहु प्रेरणा दैत रहैत अछि ।""

-""भोलाबाबूक की वैशिष्ट्य ?""

-""पहिल तँ ई जे ओ मैथिलीक दधीचि रहथि । अपन चलैत वकालत, अपन प्रकाशन, अपन सुख आ ऐश्वर्य सब छोड़ी-छोड़ि मैथिलीक यज्ञमे समर्पित भ' गेल रहथि। विभिन्न पाठ्यक्रममे, स्कूल-कओलेजमे जे मैथिलीक प्रवेश भेल रहैक ताहिमे हुनक योगदान उल्लेखनीय । मैथिली पत्रकारिताक क्षेत्रमे हुनक योगदाकें के विसरि सकैत अछि ? 'मिथिला' आ 'भारती' पत्रिका हुनक उत्कृष्ट सम्पादनकलाक परिचय दैत अछि । हरिमोहन बाबूकें उत्प्रेरित करबामे भोलाबाबूक योगदान अविस्मरणीय अछि... हमर एकटा सुझाव अछि ...""

-""जी, से की ?""

"" हमर सुझाव अछि जे ' भोला लालदास ग्रन्थावली ' क प्रकाशन खएल जाए । सरकारी अथवा स्वेच्छिक संगठन माध्यमे ई प्रकाशन सम्भव भ ' सकैत अछि । ""

-""अपनेक अन्य मैथिलीक पुस्तक ?""

-""हम सन् 74 क आन्दोलनमे लोकनायक जयप्रकाश नारायणक आह्मवान पर सरकारी सेवामे रहितहुँ प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रुपें भाग लेने रही- स्वतंत्रता आन्दोलनक समयमे जयप्रकाश बाबूक अथवा त्याग आ तपस्यासँ सम्मोहित भेल रही । हुनक निस्पृह जीवन, हुनक कर्मयोगीक रुप, हुनक सर्वभूतहितक संकल्पना मोनकें मुग्ध करैत रहल । तें जखन ' रमानाथ झा भाषणमाला ' क हेतु मैथिली अकादमीसँ आमन्त्रण भेटल तँ हम जयप्रकाश बाबू पर व्याख्यान प्रस्तुत कएल । जयप्रकाश बाबूक व्यक्तित्व, जीवनक संघर्ष आ विचारधाराकें मातृभाषा मे पहिल खेप प्रस्तुत कएने रही । एही पुस्तकक आरम्भिक अंश जिज्ञासा नामक पत्रिकामे प्रकाशित भेल रहए । एहि पुस्तकक प्रकाशन मैथिली अकादमीसँ भ रहल अछि । एकटा अनुवाद... बंगलासँ मैथिलीमे अनुवाद... से, अप्रकाशित अछि ।""

-""केहन अनुवाद ? कोन पुस्तक अनुवाद ?""

- शरतचन्द्र चट्टोपाध्यायक ' पंडित मोशाय ' क मैथिलीमे हम अनुवाद कएने रही.... मैथिली अनुवादक शीर्षक अछि- ""की अओ पंडितजी""

जटाबाबू दराजमेसँ पाणडुलिपि निकालि देखबए लगलाह... "" देखू... यैह थिक.. आब एहि पुस्तककें के छापत ? कोना छपत ? मैथिलीमे प्रकाशनक भारी समस्या अछि । लोक पुस्तक खरीद क पढ़ैत नहि छथि । के छापत ? हमर एहिना अनेक निबन्ध मैथिलीमे लीखल प्रकाशित अछि... विभिन्न स्मारिका आ पत्र-पत्रिकामे ... एकर सभक संकलन कए एक पुस्तक छपि सकैत अछि । मुदा से के छापत ? के संकलन करत ?""

कोठीलीसँ लागल बराम्दापर चहल-पहल बढि जाइत छैक । स्वाती पानिक छिच्चा द ' रहल छथि । अवधेशजी आसन बिछा रहल छथि ... जटाबाबू हड़बड़ा उठैत छथि- "" ज्जा ! हाथ धोएबाक लेल पानि नहि अनलहुँ । पएर धोएल जाए । ""

आसन पर बैसैत छी । गरम-गरम भात... दालि... पापड़... तरुआ.. परोड़क लटपट, भुजिया, अँचार, मिरचाइ । सरहद गामक एहि आत्मीयतासँ अभिभूत भ ' उठैत छी.. एक बेर आदरणीय किरणजीक ओतए भोजन कएने रही - सन् 1979 क गरमीक तातिलमे । एक खेप मैथिलीक सुकवि भीमनाथ झाक संग प्रात :स्मरणीय 'मधुप'जीक ओतए एक राति बीतल रहए- सबटा मोन पड़ैत अछि... हमरा सन मैथिलीक अति साधारण कार्यकर्त्ताकें जँ कतहु अयाचित स्नेह भेटैत छैक तँ हृदय आह्लादित भ उठैत छैक । ... सरहद गामक एहि आंगनक अन्नपूर्णाक प्रसाद मोकें आह्लादित कएने अछि ।

-"" ज्जा.... घी.... असले चीज नहि देलहुन.... एक करौछ बरकल घी.. गाम-घऽरक शुद्ध घी वातावरणकें सुगन्धित करैत थारी पर पसरि गेल ।

हम भोजन शुरु करैत छी... जटाबाबू हमरा दिस अभिमुख होइत कहलनि- लंकोच नहि कएल जाए... हमरा आइ रवि थिक तें संग नहि द ' सकलहुँ । मस मात्र सत्तू आ चिनी खाएब... यैह आइ हमर दिनुका भोजन.... हम तरुआ खाइत रही.... हमर मोन अप्रतिभ भ ' उठल । हमरो आइ रवि रहए... अनोना..... मुदा से कहल नहि भेल ।

हम पुन : गप्पक सूत्र पकड़ैत छी... अपनेक भोजन ? जटाबाबू स्थिर होइत कहलनि- हम व्यक्तिगत रुपें शाकाहारी छी ।

-""आ परिवार ?""

-""परिवारमे सब मांसाहारी.... पहिने हमहूँ मांसाहारी रही.... सन् 1970 सँ पूर्वक गप्प थिक हम एक दिन, एक पलमे माछ-मांस छोड़ि देल... से छोड़ि देल तँ छोड़ि देल ।""

-""से किएक छोड़ि देलिऐक ?""

-""तकर पाछाँ एकटा रहस्य अछि । रहस्य की ? परिवारमे सबकें बूझल छैक ।""

-""जी, कोन रहस्य ?""

-""असलमे, हमर आध्यात्मिक गुरुआइन छलीह बेनीपट्टीक बहिनजी.... ओहेन भाषण, ओहेन दिव्यज्ञान, ओहेन सम्मोहक स्वरुप.... ब्राह्मण परिवारमे जन्म भेल छलनि । आजन्म ब्रह्मचारिणी ..... एहि इलाकामे एहन एकहुटा ब्राह्मणकन्या भेटि सकैत छथि ? साक्षात् ब्राह्मवादनी.... परुकाँ देहान्त भ' गेलनि ।""

-""जी, रहस्य ?""

-""पटनामे हम हुनक आध्यात्मिक प्रवचन सूनल । हुनक प्रवचन मोनमे आध्यात्मिक लय  देलक... उत्पन्न क' संगमे पिता रहथिन । कहलियनि- एक दिन हमरो डेरा पर सत्संग होइक.... पंगतमे बैसिक' सब भोजन करी । तहिया पटनामे हमर डेरा पैघ रहए... किरायाक मकानमे रहैत रही.... बहिनजी दुद्धा वैष्णव ... तें जहिया सत्संगक आयोजन भेल रहए हमरा ओतए तहिया सबसँ पहिने किछु वैष्णव भनसिया सब आबि गेलाह, कहलनि..... अपन वर्तन-वासन अनने छी.... भनसाघऽर पर हुनके सभक अधिकार.... भजन भेलैक... कीर्तन भेलैक..... बहिनजीक आध्यात्मिक प्रवचन भेलनि. कोनो डिग्री नहि... मुदा ओहेन सुन्दर, स्पष्ट, भावपूर्ण प्रवचन....  तकर बाद सब भोजन करैत गेलाह । बहिनजीक पिता संग रहथिन- सन् 1970 सँ पूर्वक गप्प थिक.... हम रही मांसाहारी ... तें हम काते मे ठाढ़ रहलहुँ ।....""

जखन भोजन भ ' गेलनि तँ बहिनजी हमरा आशर्वाद दैत कहलनि- "" दासजी, हमर एकटा बात मानब । ""

हम कहलियनि- ""एकटा के कहए, हजार बात मानब ।""

-""बहिनजी निर्द्वेन्द भावें कहलनि- शाकाहारी भ' जाउ- वैष्णव ! हम तुरत तत्काल कहलियनि- छोड़ि  देलहुँ... से तकर बाद कतेक वर्ख भेल मुदा हमर चित्त फेर कहियो नहि बदलल... हपर निर्णय जखन हमर आंगनकें बूझल भेलनि तँ ओहो कहलनि जे हमहूँ छोड़ब । हम कहलियनि- अहाँ सब नहि छोडू । बेटी जमाय छथि... अहाँ सब खाउ । तें जखन माछ अबैत अछि घऽरमे तँ ओकर खर्च, अनबाक निर्णय अथवा कोनो सरंजाममे हम शामिल नहि होइत छी ।... बस, एतबे ।""

-""मुदा ' एनीमल प्रोटीन ' क अभाव ... तकर पूर्ति कोना छिऐक ?""

-""तकर पूर्कित्त करैत छिऐक ।... रातिमे शुद्ध दूध एक गिलास नित्य पिबैत छी आ प्रात : काल एकटा लहसुन आ एक लोटा पानि आ तकर बाद एक चम्मच मधु यैह हमर शक्तिक मूल स्रोत अछि । ""

-""हमर भोजन शेष भ ' गेल रहए ... हम उठै-उठै पर रही । जटाबाबू बजलाह- -""ज्जा ! दही... छैक की ?..."" ताबत स्वाती एक बाटी दही आ चिनी ल 'क ' अएलीह- हम चम्मच सँ दू चारि चम्मच दही 'क' भोजन शेष करैत उठि गेल रही ।... पान आ सुपारी । किछु कालक विश्राम आ तकर बाद जटाबाबू सामनेक पलंग पर आबिक' बैसि रहलाह । हम पुन : गप्पक सूत्रकें पकड़ैत पुछलियनि- अपने पटना किएक छोड़ि देलिऐक ?""

-""छोड़लिऐक नहि... असलमे भाइक देहान्तक बाद खेत पथार बिलट ' लागल।। तें खेतीक समयमे, धनकटनीक समयमे ... कहू जे खेतक मोहक कारणे अधिक काल गाममे रहय पड़ैत अछि । जन्मभूमिक प्रति एकटा सहज स्नेह, अपन गामक प्रति आकर्षण तें अधिक काल आब गामे रहैत छी ।""

-""पटना आ गाममे की अन्तर ?""

गाममे सामाजिकता अधिक.. पटनामे लेखन.... साहित्य.... लिखबा-पढ़बाक अवसर अधिक- पटनामे साहित्यिक वातावरण अधिक उर्वर ।

-""किछु गोटएकें कहब छनि जे मैथिली जगतमे कायस्थ लोकनिकें अपेक्षित सम्मान नहि भेटलनि । अपनेक की धारणा ?""

-""हमर की धारणा ... हम साहित्यमे अथवा समाजमे जे केओ जाति-पाँतिक बात उठबैत छथि तनिकासँ परहेज करैत छी । हम समाजवादी छी, गाँधीवादी रहलहुँ आचार-विचारमे,... बूझल किने... मुदा जखन अहाँ प्रश्न उठौलहुँ अछि तँ एकर तर्कपूर्ण आ समीचीन उत्तर देब ।""

-""जी... ""

-""हमरो समक्ष एहि तरहक बात अनेक व्यक्ति करैत रहलाह अछि... तें एहन भ्रान्तिक खण्डन करब आवश्यक अछि । एहि सबसँ गलत संदेश जाइत छैक । नकारात्मक प्रभाव पड़ैत छैक । एखन मैथिली पर महासंकट अछि ... तें ई नहि सोचबाक थीक जे मातृभाषासँ की भेटल  सोचबाक ई थीक जे मातृभाषाकें की देलिऐक ? महाकवि लालदास रामायणक रचना कएलनि तँ मिथिलाक गाम-गाम, घऽर-घऽरमे हुनक रामायण प्रचलित भेलनि... मुन्शी रघुनन्दन दासकें साहित्य-रत्नाकरक उपाधि भेटलनि । बाबू भोलादासक योगदानकें सम्पूर्ण मैथिल समाज मुक्तकण्ठें स्वीकार करैत रहलनि। कम-सँ-कम तीन कायथ साहित्यकारकें साहित्य अकादमीक पुरस्कारसँ सम्मानित कएल गेलनि स्व. अच्युतानन्द दत्त, परमानन्द दत्त, पुलकित लाल दस 'मधुर', कालीकुमारदास, दामोदरलाल दास, वैद्यनाथ मल्लिक 'विधु', कुलानन्द दास, सुधाकान्त दास आदिक मैथिली रचनासँ सम्पूर्ण समाज आह्लादित अछि । डा. व्रजकिशोर वर्मा मणिपद्म अछैते आयु मैथिलीक वेदी पर वलि चढि गेलाह ... दिन राति लिखैत-लिखैत ... कतैक सम्मान ... कतेक आदर भेटैत रहलनि । हुनक सिंहगर्जनासँ मैथिली विरोधी थर-थर कँपैत छलाह । 'मधुप'जी, 'अणु'जी, मणिपद्मजी... बहेड़ा परिसर कें गुंजित करैत रहलाह ... हम स्वयं 'चेतना समिति' सन महत्त्वपूर्ण संस्थामे 6 खेप सचिवक पदभार ग्रहण कएल । कतेक नाम गनाउ.... रमानन्द रेणु, शेफालिका वर्मा, जगदीश प्रसाद कर्ण सबकें सम्मान भेटलि- तें जे ई कहैत छथि जे मैथिली जगतमे कायस्थ लोकनिकें सम्मान नहि भेटि रहल छनि से अप्रत्यक्षरुपें सम्पूर्ण कायस्थ समाजकें अपमानित क' रहल छथि । ""

-""जी, किछु गोटक कहब छनि जे जातिविशेषक कारणे मैथिलीक विस्तार नहि भ' रहल अछि । अपनेक की मन्तव्य ?""

-""देखू .. एहन बात नाहि छैक । मैथिली कोनो बड़का फैक्ट्री नहि छैक । कोनो बड़का लाभक साधन नहि छैक- तखन जे केओ मैथिलीमे काज करैत रहलाह अछि .... से, एक तरहें सेक्रफाइस करैत रहलाह अछि । महासंकट रहलइक मैथिली पर .. एखनहु छैक। सत्ता आ शासन एखन बेमत्त छैक । जे मैथिलीकें भेटल छलैक सेहो छीनि लेलक । तें जाति-विशेष, वर्ग-विशेष, ब्राह्मण-कायथक जे बात उठबैत छथि से अज्ञानवश प्रकारान्तसँ मैथिलीक संघर्षकें कमजोर क रहल छथि ।... हमरा तँ व्यक्तिगत अनुभव अछि ।""

-""जी, से की ?""

-""अनेक साहित्यकार एहन छथि जे अपन जमीन बेचिक ' गहना बन्धक राखिक ', गृहस्थीक खर्चामेसँ काटिक' पोथी छपबैत रहलाह अछि.... एहन-एहन साहित्यकारक त्याग आ तपस्यासँ हृदय विह्वल भ' उठैत अ । ""

-""मैथिलीक नवीन पीढ़ीक नाम अपनेक संदेश ?""

-""मैथिलीक यज्ञ अविराम चलि रहल अछि... जकरा जे भेटए आहूति चढ़बैत जाउ... कोनो बन्धन नहि, कोनो रोक नहि.. माइक भाषा थिक,,, मोनमे कोनो आक्रोश नहि राखू,... सभक संग एकाकार भ ' जाउ ।""

घड़ीमे तीन बजैत रहैक । अपराह्म वेला । गाम सरहद । 19 अगस्त, अगस्त, 2001 । रवि जटाबाबू स्मारिका सबमे प्रकाशित अपन महत्त्वपूर्ण लेख, कतरन, सूची आदि देखा रहल छथि । राजदरभंगाक संग अपन परिवारक सम्बन्ध, इण्डियन नेश-आर्यावर्तक : स्थिति, सरहदक विद्यापति-स्मृति पर्व, मधुबनी चित्रकला आदिक प्रसंग चर्चा क ' रहल छथि । ""

हम अवसर पाबि पुछलियनि- ""अपनेकें एखन गाममे कोना दिन बितैत अछि ?"" - पठन-पठान । आद्यात्मिक अनुष्ठान । पूजा-पाठ । भजन-कीर्तन । बेनीपट्टीक बहिन जीक स्मरण ।... आ तकर बाद अखबार । लोकगीतसँ विशेष अभिरुचि तें कोनो लोकगीत सुनबाक अवसर भेटल तँ अवश्य भाग लैत छी ।

-""अपनेक कोनो एहन इच्छा अछि जकर पूर्कित्त नहि भेल हो ?""

-""जीवन-मरणक यन्त्रणासँ मुक्ति भेटि जाए सैह इच्छा ।... ओना एक्केटा इच्छा अछि जे सतत रचनात्मक कार्यमे लागल रही ।""

-""मैथिलीमे कोन पत्रिकाकें अपने सर्वश्रेष्ठ बुझैत छिऐक ?""

-""जकर आटु सबसँ अधिक रहल होइक । ओना तँ बहुत पत्रिकाक योगदान छैक । ऐतिहासिक महत्तव निश्चित रुपें मिथिला मिहिर कें देल जाए सकैत अछि । मुदा एखन जे जीवन्त अछि ताहिमे सर्वश्रेष्ठ अछि कर्णामृत । नियमित अछि । अनेक वर्खसँ प्रकाशित भ रहल अछि । पत्रीकाक संरचना सुसंगठित अछि ।""

-""मैथिलीक कोन-कोन लेखकसँ अपने आकर्षित होइत रहलहुँ अछि ?""

-""रियली पूछी तँ हरिमोहन झा ""

-""की वैशिष्ट्य ?""

-""टिपिकल मैथिली । बोलचालक भाषा । बहुत दिन धरि हम अपन सिरमा तऽरमे हरिमोहन झाक ' कन्यादान ' राखी । मैथिलीमे अनेक प्रतिभावान साहित्यकार छथि जनिका पर हमरा गर्व अछि ।""

-""जेना ....""

-""जेना सुभद्र झाक भाषण आ लेखनक पाण्डित्य..... अद्वितीय विद्वान । यात्रीजी क्रांतिकारी लेखक.... बेजोड़ कवि । स्वतंत्रता आन्दोलनक समय मणिपद्मजी जेलमे संग रहथि- दरभंगा जेलमे रही । लोकसाहित्यक अमर कथाशिल्पी । तहिना विद्यापति ' काव्यलोक ' क लेखक नरेन्द्रनाथ दास.. विद्यापति साहित्यपर एहन सारगर्भित आ तुलनात्मक लेखन अन्यत्र दुर्लभ । ... मणिपद्मजी अधिक काल मोन पड़ैत रहैत छथि । हमर एकटा प्रस्ताव अछि ।....""

-""जी, से की....?""

-""हमर प्रस्ताव अछि जे मणिपद्म लोकसांसकृतिक संस्थान क स्थापना कएल जाए। मणिपद्मजीक लोकसाहित्य पर लीखल उपन्यास कथा आदि पर अधिक-सँ-अधिक अनुसंधान कएल जाए । हुनक समस्त अप्रकाशित रचनाकें प्रकाशित कएल जाए ।""

-""अपनेकें कोन-कोन संस्थासँ सम्मानित कएल गेल अछि ?""

जटाबाबू दराजसँ एकटा पुस्तक बहार क " देख " देलनि- " भावाञ्जलि " - कवि - भीमनाथ झा... "" भीमनाथ झा हमरा पर अभिनन्दन लिखने छथि - एहि पुस्तकमे से संकलित अछि ।... अखिल भारतीय मिथिला संध, कलकत्ता 1987 मे हमरा सम्मानित कएने रहए। 1990 मे कर्णकायस्थ महासभासँ सम्मानित भेल रही । 1994 ई. मे जखन चेतना समिति, पटना सम्मानित कएलक तँ सत्ये मोन आह्लादित भ " उठल । 1997 ई. मे अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली संध, जनकपुरसँ सम्मानित भेल रही । ... आह्लादित होइत कहलनि- हम तँ मिथिला आ मैथिलीक अनेक सपना ल "क" .... विकासक अनेक योजना "क " चलैत रहलहुँ अछि ।''

-"" जी, से अबस्स । ''

"" हमरा कागत-पत्र समटैत देखि जटाबाबू कहलनि- "" थम्हू, कनेकाल आर थम्हू....स्वातीक गीत सूनि लिअ । "" .... स्वाती बैसलि छलीह से उठि क " ठाढि भ " गेलीह । आ तखन लय-तालमे विद्यापतिक समदाउन.... कमरथुआक गीत सुनाक " झुमा देलनि ।... ""

बड़ सुख सार पाओल तुअ तीरे ।...

छोट-छोट डारि, छोट-छोट पात, चल अबैत साँझ आ छोटछीन स्वाती...

स्वातीक स्वर..... विद्यापतिक गीत.... समुदाउन.... सरहद गामकें नमन करैत छी आ विदा भ " जाइत छी ।

लयमे, लोचमे लहरि उठैत रहैत अछि -

बड़ सुख सार पाओल तुअ तीरे

छाड़इत निकट नयन वह नीरे

एक अपराध छेमब मोर जानी

परसल माए पाए तुअ पानी ।

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© आशुतोष कुमार, राहुल रंजन

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प्रकाशक : प्रकाशक मैथिली रचना मंच, सोमनाथ निकेतन, शुभंकर, दरभंगा (बिहार) - ८४६००६  द्वारा प्रकाशित दूरभाष - २३००३

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